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बाढ़ आने पर रस्सी के सहारे नदी पार करते है लोग, रोजी-रोटी के लिए जान जोखिम में डाल देते है ग्रामीण

मैहर क्षेत्र के सेमरा पंचायत का मामला, बाढ़ आने पर रस्सी के सहारे नदी पार करते लोग, जोखिम में जान

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satna flood: Maihar region Heavy Rain in Satna

satna flood: Maihar region Heavy Rain in Satna

सतना/ रस्सी के सहारे नदी पार करते लोगों की यह तस्वीर मैहर क्षेत्र के सेमरा पंचायत की है। यहां के चार गांवों में करीब चार हजार लोग निवास करते हैं, लेकिन मुख्य मार्ग तक पहुंचने के लिए एक ही रास्ता है। उस पर भी बना पुल जरा सी बारिश में डूब जाता है। जिसके बाद पेड़ों से रस्सी बांधकर नदी पार करना पड़ता। स्कूली बच्चे व महिलाएं इस दौरान गांव में ही कैद होकर रह जाती हैं। उनके पास अन्य विकल्प नहीं होता। कोई बीमार पड़ जाए तो इलाज भी संभव नहीं होता।

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सहायक सचिव दीपक शिवहरे ने बताया कि बीते 48 घंटे से पुल डूबा हुआ है। रास्ता कब खुलेगा, कुछ कह नहीं सकते। कई बार तो एक-एक हफ्ते ऐेसे ही पानी बहता रहता है और लोग जान जोखिम डालकर नदी करने को मजबूर रहते हैं। नदी पार करने वाले लोग वे हैं, जिन्हें रोजी-रोटी या अन्य जरूरी काम से बाहर जाना पड़ता है। वैसे आमजन बाढ़ के दौरान नदी पार करने से बचते हैं। थोड़ा-बहुत तबीयत खराब हुई तो भी स्थानीय स्तर पर इलाज करा लेते हैं।

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30 साल पहले बना था रपटा
दीपक शिवहरे ने बताया कि सेमरा ही नहीं रेललाइन के इस तरफ बसे मैहर जनपद के ज्यादातर गांवों में यही समस्या है। टमस नदी पर बने पुलों की उचाई काफी कम है, जिस कारण हल्की बारिश में ही रास्ता जाम हो जाता है। सेमरा का यह रपटा 30 साल पुराना है। इसके नवनिर्माण की मांग लगातार की जा रही है, लेकिन अनसुना कर दिया जाता है। कई बार पंचायत स्तर से भी प्रस्ताव बनाकर दिया गया, ध्यान नहीं दिया गया।

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नहीं जा पाते स्कूल, घर में प्रसव
बाढ़ के दौरान आवागमन ठप हो जाने से सर्वाधिक परेशानी स्कूली बच्चों को होती है। गांव में शासकीय माध्यमिक शाला है, इसके बावजूद करीब आधा सैकड़ा बच्चे घुनवारा व अमदरा की निजी स्कूलों में पढ़ते हैं। लेकिन बाढ़ के दौरान ये स्कूल नहीं जा पाते। गनीमत है अब तक ऐसी स्थिति नहीं बनी, लेकिन बाढ़ के दौरान किसी को प्रसव पीड़ा शुरू हो जाए तो संस्थागत प्रसव करा पाना संभव नहीं होगा। क्योंकि, इसके लिए नदी पर कर अमदरा जाना पड़ेगा।