
satna sp office against the rules of Retired sub inspector Posted
धीरेंद्र गुप्ता @ सतना। पुलिस कप्तान के दफ्तर से एक रिटायर्ड दरोगा जिले के थाना प्रभारी और बाकी अफसरों पर हुकुम चला रहा है। यह दरोगा किसके आदेश से यहां जमा हुआ है, इसके बारे में खुद विभाग के कर्मचारी भी स्पष्ट नहीं हैं। दबी जुबान यह बात जरूर सामने आई है कि पूर्व एसपी के रहम पर इस दरोगा को पुलिस अधीक्षक कार्यालय में जगह मिली थी।
तब उसको आपसी तालमेल के हिसाब से काम के एवज में कुछ रुपए दिए जाते थे। लेकिन, एसपी साहब के जाने के बाद अब यह दरोगा मुफ्त में भी काम करने को तैयार है। इसके बारे में खुद पुलिस अधीक्षक को भी ठीक से पता नहीं कि यह किसकी अनुमति से यहां काम कर रहा है? वहीं रिटायर्ड दरोगा से भी बात नहीं हो सकी है।
रिटायर्ड व्यक्ति से काम लेने पर एक सवाल यह भी काबिज हो रहा कि क्या वर्तमान समय में विभाग में कोई काबिल कर्मचारी नहीं जो रीडर का काम कर सके? विभागीय जानकारों का कहना है कि रिटायर्ड कर्मचारी की जरूरत ही नहीं है। मौजूदा स्टाफ ही काम संभाल सकता है। लेकिन एक एसपी के जरिए रखे गए रिटायर्ड कर्मचारी को हटाने के लिए कोई आवाज नहीं उठा सकता। मामले में एसपी का कहना है कि यदि शिकायत मिली तो संबंधित को हटा दिया जाएगा।
रीवा से रिटायर्ड हुआ था
विभागीय सूत्रों का कहना है, पुलिस अधीक्षक के रीडर कार्यालय में बिना अनुमति गोपनीय काम रिटायर्ड दरोगा रमेश शुक्ला कर रहा है। रमेश सतना में हवलदार रहते हुए डीएसपी मुख्यालय का रीडर रह चुका है। इसके बाद प्रमोशन में रीवा गया, जहां से एसपी के रीडर का काम करते हुए उप निरीक्षक पद पर पदोन्नत होकर रिटायर्ड हो चुका है।
भंग हो रही गोपनीयता
पुलिस अधीक्षक कार्यालय में रीडर का काम करने के लिए एसआइ पारस नाथ दाहिया पदस्थ हैं। लेकिन रीडर का पूरा काम खुद रमेश करता है। सूत्रों का कहना है कि इस कार्यालय में गोपनीय दस्तावेज और सुरक्षा व कानून व्यवस्था से जुड़े पत्र आते हैं। जो बाहरी व्यक्ति के हाथ में पडऩे से गोपनीयता भंग होने का खतरा बना रहता है। अगर भविष्य में कोई जरूरी रेकॉर्ड गायब होता है तो जवाब देने वाला कोई नहीं। लेकिन अफसरों ने गंभीरता नहीं बरती।
नोटिस से बनाता है दबाव
विभागीय अधिकारी और कर्मचारी अनुशासन से बंधे हैं। एेसे में कोई खुलकर शिकायत नहीं कर पाता। सूत्रों का कहना है कि पुलिस कप्तान से नोटिस जारी कराने के बाद रमेश थाना प्रभारी और अन्य अफसरों पर दबाव बनाता है। नोटिस का जवाब नहीं मिलने पर अपने निजी काम करने के लिए भी कई बार सिफारिश लगाता है। अगर स्वार्थ न सधा तो एसपी की धौंस दिखाने से भी नहीं चूकता।
कहां से मिलता है वेतन?
सूत्रों का कहना है, तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राजेश हिंगणकर के समय रमेश शुक्ला को एसपी ऑफिस में नियम विरुद्ध तरीके से रखा गया था। तब से कुछ महीनों तक आला अफसरों के कहने पर काम के एवज में निजी तौर पर करीब 6 हजार रुपए मासिक रमेश को दिया जाने लगा। लेकिन एसपी हिंगणकर और आरआइ राहुल देवलिया का तबादला होने के बाद अब उसे कौन और कहां से वेतन दे रहा है? यह कोई नहीं जानता। बड़ी बात तो यह है कि एक रिटायर्ड कर्मचारी आखिर बिना वेतन के किस स्वार्थ से काम कर रहा है?
रमेश कई साल तक रीडर का काम कर चुका है। अच्छा तजुर्बा होने के कारण उसे मदद के लिए रखा था। वह बिना वेतन के स्वेच्छा से काम कर रहा था।
राजेश हिंगणकर, तत्कालीन एसपी
रिटायर्ड कर्मचारी को रखने का हमें कोई अधिकार नहीं है। वह पूर्व एसपी के समय से मदद के लिए काम कर रहा है। उसे वेतन नहीं दिया जाता। अगर शिकायत हैं तो उसे हटा दिया जाएगा।
संतोष सिंह गौर, एसपी सतना
Published on:
10 Aug 2018 12:24 pm
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