नगर निगम के जनप्रतिनिधियों के बीच की गुटबाजी गुरुवार को एक बार फिर तब खुलकर सामने आ गई जब महापौर ममता पाण्डेय परिषद की बैठक में शामिल नहीं हुईं। पांच साल में पहली बार महापौर की गैरमौजूदगी में परिषद की बैठक आयोजित की गई। इससे पहले 11 जून को आयोजित बैठक महापौर एवं निगमायुक्त के उपस्थित न होने के कारण स्थगित करनी पड़ी थी। गुरुवार को बैठक में उनके शामिल होने की पूरी उम्मीद थी पर वह बैठक में शामिल नहीं हुईं। बैठक में महापौर की अनुपस्थिति को लेकर निगम कार्यालय से लेकर राजनीतिक गलियारों तक चर्चा का बाजार गर्म रहा।
बजट पर चर्चा के दौरान पार्षद शिवशंकर गर्ग ने शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के नाम पर सड़कों से गरीबों के ठेले और झोपड़ी हटाने की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि शहर में सैकड़ों अवैध होर्डिंग्स लगी हैं। इनकी जानकारी होने के बाद भी आज तक अतिक्रमण दस्ता एवं राजस्व की टीम ने कोई कार्रवाई नहीं की। निगम अधिकारियों की शह पर शहर में अवैध होर्डिंग का कारोबार फलफूल रहा है। मामले को संज्ञान में लेते हुए अध्यक्ष ने अतिक्रमण दस्ता प्रभारी को कार्रवाई करते हुए तीन दिन में शहर की सभी अवैध होर्डिंग्स हटाने के निर्देश दिए। निगमायुक्त ने भी अधिकारियों से अवैध होर्डिंग्स की जानकारी तलब की।
मीट मार्केट बन गया बारात घर
पार्षदों ने मृत पशु उठाने को लेकर स्वास्थ्य अधिकारी को घेरने की कोशिश की। पार्षदों ने पूछा कि मृत पशु उठाने का ठेका अब तक क्यों नहीं हुआ? इस पर स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि आठ बार टेंडर हो चुके हंै। कोई ठेकेदार सामने नहीं आ रहा। इसलिए वह स्वयं मृत पशु उठावते हैं। पार्षदों ने कहा कि मृत पशु शहर की सबसे बड़ी समस्या है। इसलिए इसे गंभरता से लेते हुए शिकायत मिलते ही तुरंत मृत पशु उठाने की व्यवस्था की मांग की। परिषद ने एक मृत पशु वाहन खरीदने का प्रस्ताव पास किया।
नेता प्रतिपक्ष शैलेन्द्र सिंह ने पाइप लाइन डालने के लिए खोदी गई सड़कों का बारिश से पहले पैचवर्क कराने का मुद्दा उठाया तो सदन में हंगामा शुरू हो गया। पार्षदों ने कहा कि हर बैठक में खोदी गई सड़कों की मरम्मत का मुद्दा उठाया जाता है। आज तक एक भी सड़क में पैचवर्क का कार्य पूरा नहीं हुआ। खोदी गई सड़कों की मरम्मत को लेकर लगभग 20 मिनट तक सदन में हंगामा होता रहा। अंत में अध्यक्ष ने सड़कों की मरम्मत का कार्य जल्द शुरू कराने के आश्वासन के बाद सदन की कार्रवाई आगे बढ़ी।