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satna: सामान्य वर्ग को भी आदिवासी बता कर दे दिया वनाधिकार पट्टा

परसमनिया पठार में जंगल की जमीन को निजी करने की साजिश वनाधिकार पट्टों की आड़ में होता है बड़े पैमाने पर अवैध खनन

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satna: सामान्य वर्ग को भी आदिवासी बता कर दे दिया वनाधिकार पट्टा

The VAN ADHIKAR PATTA was given to the general class as tribals

सतना। जिले में खनन के लिये कुख्यात रहे परसमनिया पठार में आदिवासियों के नाम पर सामान्य वर्ग के लोगों को वनाधिकार पट्टा दिये जाने का मामला सामने आया है। इस खेल में बड़े पैमाने पर जंगल की जमीन पर निजी अधिकार हो गया है। जिन इलाकों में वनाधिकार पट्टे बांटे गए हैं वहां पर लगातार वनों की कटाई और अवैध खनन के मामले सामने आते रहे हैं।

जंगल पर निर्भर रहने वाले आदिवासी (अनुसूचित जनजाति) व अन्य परंपरागत वन निवासियों के पास जंगल की जमीन पर कोई अधिकार नहीं होने से अक्सर उन पर वन विभाग द्वारा कार्रवाई की जाती रही है। इसे देखते हुए वन निवासियों के अधिकारों को मान्यता देने के लिये केन्द्र सरकार ने वन अधिकार अधिनियम लागू किया। इसके तहत जो पात्रता निर्धारित की गई थी उसके अनुसार अन्य परंपरागत वन निवासियाें को 75 साल से वन में निवास करने का अपने और अपने परिवार के आजीविका के लिए वन में आश्रित होने का प्रमाण देना होगा। इसके लिए भूमि दखल 13 दिसंबर 2005 के पहले का होना जरूरी है। अर्थात अगर कोई गैर अनुसूचित जनजाति वर्ग का है तो उसे जंगल में 1930 से यहां निवासरत होना साबित करना होगा। परसमनिया में तो ऐसा कोई भी मामला वास्तविक तौर पर नहीं है क्योंकि यहां सामान्य वर्ग का कोई भी व्यक्ति प्रमाणिक तौर पर निवास नहीं कर रहा था। लिहाजा इसके लिए हितग्राहियों और विभागीय लोगों ने वनाधिकार के लिये बड़ा फर्जीवाड़ा कर डाला। सामान्य और ओबीसी वर्ग को आदिवासी बताते हुए उन्हें वनाधिकार पट्टा बांट दिया।

इन नामों पर किया फर्जीवाड़ा

वनाधिकार पट्टा धारी हितग्राहियों की जो सूची तैयार की गई है उसके अनुसार शारदा यादव निवासी बिचवा, हरिराम गुप्ता निवासी कुल्हरिया, शिवकुमारी ब्राह्मण निवासी कुल्हरिया, सुधारानी ब्राह्मण निवासी कुल्हरिया, कामता प्रसाद ब्राह्मण निवासी कुल्हरिया, दीपक ब्राह्मण निवासी कुल्हरिया, राजललन यादव निवासी बिचवा इन सभी की जाति आदिवासी और वर्ग अनुसूचित जनजाति का बताते हुए वनाधिकार पत्र दे दिया गया है।

जंगल में इतनी दी गई जमीन

नाम - जाति वर्ग - वन खंड - रकवा

शारदा यादव - अनु.ज.जा. - गुढ़ा - 1.960 हैक्टेयर

हरिराम गुप्ता - अनु.ज.जा. - गुढा - 2.839 हैक्टेयर

शिवकुमारी ब्राह्मण - अनु.ज.जा. - गुढ़ा - 3.795 हैक्टेयर

सुधा रानी ब्राह्मण - अनु.ज.जा. - गुढ़ा - 3.545 हैक्टेयर

कामता प्रसाद ब्राह्मण - अनु.ज.जा. - गुढ़ा - 2.766 हैक्टेयर

दीपक ब्राह्मण - अनु.ज.जा. - गुढ़ा - 3.534 हैक्टेयर

राजललन यादव - अनु.ज.जा. - गुढ़ा - 3.965 हैक्टेयर

इस तरह होता है खेल

वनाधिकार पट्टे पाने के बाद इनके द्वारा अपने आवंटित क्षेत्र से लगी जंगल की जमीन पर बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई कर पहले इन्हें खेती की जमीन में तब्दील कर लिया जाता है। फिर अपने आवंटित रकवे पर खनिज लीज का आवेदन दिया जाता है। लीज मिलने पर अपने से लगे वन क्षेत्र पर अवैध खनन किया जाता है।