आधा आषाढ़ मास बीता, नहीं कम हुए गर्मी के तेवर-किसानों की बढ़ रही चिंता, समय से मानसून नहीं आया तो बोनी में होगी देरी
सीधी। आषाढ़ माह आसमान से आग बरस रही है। जिले का औसत तापमान पिछले सप्ताह भर से 42 डिग्री सेल्सियस के पार चल रहा है। जून माह एक पखवाड़ा निकल गया है और शहरवासियों को गर्मी से राहत नहीं है। सुबह 7 बजे से ही तेज धूप निकल रही है। रविवार को भी दिनभर चिलचिलाती गर्मी ने लोगों को परेशान कर दिया। तपिश भरी गर्मी में पंखा और कूलर भी काम नहीं कर रहे हैं। रविवार को जिले का अधिकतम तापमान 42.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। न्यूनतम तापमान 31.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। बीते 1 जून से लगातार जिले का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार चल रहा है। 9 जून के बाद से तो गर्मी के तेवर और अधिक बढ़ गए हैं, तापमान 42 डिग्री सेल्सियस के पार है।
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किसानों की बढऩे लगी चिंता-
मौसम के मिजाज को देखते हुए किसानों की ङ्क्षचता बढऩे लगी है। आषाढ़ माह में मानसून दस्तक दे देता था और खरीफ सीजन के बोनी की तैयारी शुरू हो जाती थी। लेकिन आधे से अधिक आषाढ़ मास बीत चुका है और सूरज की तपन बढ़ती जा रही है। धनहा निवासी किसान दिनेश सिंह ने कहा कि अभी यदि बारिश नहीं हुई तो धान की बोनी में देरी होगी। क्योंकि एक माह का समय धान का रोपा तैयार करने के लिए चाहिए। तपिश इतनी ज्यादा है कि जिन किसानों के पास ट्यूबवेल आदि सिंचाई के साधनो की व्यवस्था है वह भी रोपा के लिए बीज की बुवाई नहीं कर सकते। किसानों के लिए मौसम के संकेत ठीक नहीं है, क्योंकि यदि बुवाई में देरी हुई तो इसका खरीफ के साथ रवी के सीजन में भी असर पड़ेगा।
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एक सप्ताह के तापमान पर एक नजर-
दिनांक - अधिकतम - न्यूनतम
10 जून - 42.4 - 30.4
11 जून - 42.6 - 31.0
12 जून - 42.2 - 31.0
13 जून - 42.0 - 31.0
14 जून - 43.2 - 25.0
15 जून - 42.6 - 31.2
16 जून - 42.2 - 30.2
17 जून - 42.2 - 30.8
18 जून - 42.6 - 31.6
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एक्सपर्ट व्यू..........
मानसून की देरी का फसलों पर पड़ेगा असर-
..........मानसून आने में देरी हो रही है, अभी तक प्री मानसून बारिश हो जानी चाहिए। यदि देर से मासूम आया तो इसका खरीफ सीजन की फसलो के बोनी पर असर पड़ेगा। वैसे अभी दस दिन का समय है। यदि इससे भी ज्यादा देर होती है तो फिर धान की बोनी में देरी हो जाएगी, जिसका उत्पादन में भी असर पड़ सकता है। देर से मानसून आने पर किसानों को कम दिनों में पकने वाली फसल की बोनी करनी चाहिए। धान की वह प्रजातियां बोनी चाहिए जो 120 दिन में तैयार हो जाती हैं।
डॉ.धनंजय ङ्क्षसह, कृषि बैज्ञानिक सीधी
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