
Students will study chemistry from pin code
सतना. कोरोना काल शिक्षा जगत में नवाचार के लिए हमेशा जाना जाएगा। बच्चों को सरल भाषा में कैसे किसी विषय को पढ़ाया जाए, इसके लिए शिक्षकों ने तरह-तरह के प्रयोग किए। एक ऐसा ही प्रयोग एक्सीलेंस स्कूल में किया गया। शिक्षक ने रसायन शास्त्र को आसान बनाने केमिस्ट्री में पिन कोड का फॉमूला सेट कर दिया। स्कूल में अब पिनकोड के माध्यम से छात्रों को केमिस्ट्री पढ़ाई जा रही है। इससे बच्चों में रसायन शास्त्र के प्रति रुचि बढ़ रही, साथ ही पिन कोड भी याद हो रहे हैं।
अभी भूलते जा रहे बच्चे
नवाचार करने वाले शिक्षक रामानुज पाठक बताते हैं कि पिन कोड की तरह ही इलेक्ट्रॉनों में क्वांटम संख्याओं का एक सेट होता है। ये क्वांटम संख्याएं किसी तत्व के बारे में बहुमूल्य जानकारी देती हैं। सबसे बाहरी इलेक्ट्रॉन की क्वांटम संख्या के आधार पर एक तत्व आवर्त सारणी में अपना विशेष स्थान प्राप्त करता है। नवाचार से जहां पोस्टकार्ड या अंतरदेशी पत्रों का संरक्षण होगा वहीं रसायन विज्ञान में रुचिकर ढंग से क्वांटम संख्याओं को सीखा जा सकता है। शिक्षक पाठक मानते हैं कि मोबाइल के युग में ज्यादातर बच्चों को पोस्टकार्ड, पिनकोड के बारे में पता नहीं होता। ऐसे में बच्चे पिनकोड को याद रख सकेंगे।
पिन कोड और क्वांटम संख्या का फार्मूला
पिन कोड में 6 अंक होते हैं। प्रथम अंक भौगोलिक क्षेत्र की जानकारी देता है। दूसरा राज्य की जानकारी देता है। तीसरा अंक जिले की जानकारी देता है तथा अंतिम के तीन अंक पोस्ट ऑफिस के विषय में जानकारी देते हैं। उसी प्रकार से चार क्वांटम संख्याएं होती हैं। मुख्य क्वांटम संख्या ‘कक्षा या कक्ष’ के बारे में जानकारी देती है। दूसरी द्विगंशी या सहायक क्वांटम संख्या ‘कक्षक’ की जानकारी देती है। तीसरी चुंबकीय क्वांटम संख्या ‘कक्षकों के प्रकार’ के बारे में बताती है। चौथी चक्रण क्वांटम संख्या ‘इलेक्ट्रॉन के चक्रण की दिशा की’ जानकारी देती है। इस प्रकार से क्वांटम संख्याओं को इलेक्ट्रॉन का पिन कोड या पोस्टल ऐड्रेस कहा जाता है।
ऐसे समझें
शिक्षक पाठक बताते हैं कि कक्षा के छात्रों को उनके एरिया के हिसाब से पिनकोड दिए गए हैं। जिस एरिया के छात्र ज्यादा हैं उनको प्रदेश के जिलों के कोड दिए हैं। छात्र इन्हें क्वांटम संख्या से ऐसे जोडकऱ याद रखते हैं। जैसे किसी छात्र को सतना का 485001 पिनकोड दिया गया है। तो प्रथम अंक मुख्य क्वांटम होता है। दूसरा अंक द्विगंशी या सहायक क्वांटम, तीसरा अंक चुंबकीय क्वांटम और चौथा अंक चक्रण क्वांटम होता है। क्लास में छात्रों से उनका पिनकोड और क्वांटम संख्या पूछने पर दूसरे छात्रों को अपने जिले के साथ प्रदेश के अन्य जिलों के पिनकोड के साथ यह फार्मूला भी याद हो जाता है।
फिटकरी के गणेशजी से शुरुआत
व्यंकट क्रमांक एक के शिक्षक डॉ रामानुज पाठक ने गणेशोत्सव के दौरान फिटकरी के गणेशजी बनाकर नवाचार की शुरुआत की थी। यह नवाचार गणपति विसर्जन के दौरान होने वाले जल प्रदूषण को रोकने में मददगार बना था। इसके अलावा छात्रों की अटेंडेंस तत्वों के नाम पर लेना शुरू किया है। हर छात्र को अलग-अलग तत्व का नाम दिया गया, ताकि छात्र तत्वों को भूलें नहीं और अटेंडेंस के दौरान प्रतिदिन रिवीजन हो सके। यह उनका तीसरा नवाचार है।
Published on:
18 Jan 2022 02:32 am
बड़ी खबरें
View Allसतना
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
