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आखिर क्यों सेवानिवृत्ति के साथ ही विवाद में घिरे संभागायुक्त पढ़िए इस खबर में

न्यायालय में चार्ज फ्रेम, जपं सीईओ का नहीं किया निलंबन, मामले में विधायक ने विधानसभा में खड़ा किया सवाल 

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Surrounded Divisional Commissioner in dispute with retirement

Surrounded Divisional Commissioner in dispute with retirement

सतना। भ्रष्टाचार और गबन के गंभीर आरोपों के मामले में न्यायालय में चार्ज फ्रेम होने के बाद भी संबंधित जनपद सीईओ को निलंबित न कर संभागायुक्त एसके पाल आरोपों के घेरे में आ गए हैं। सेवानिवृत्ति के ठीक पहले शिकायतकर्ता राजाभैया तिवारी ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि पाल ने लेनदेन के चलते जानबूझ कर जनपद सीईओ को निलंबन की कार्रवाई से बचाए रखा। उधर मामले में विधायक नीलांशु चतुर्वेदी ने विधानसभा में सवाल खड़ा कर दिया है कि न्यायालय में चालान प्रस्तुत होने और चार्ज लगने के बाद भी आरोपी को निलंबित क्यों नहीं किया गया है? माना जा रहा कि मामले को यदि शासन गंभीरता से लेता है तो संभागायुक्त भी मुश्किलों में फंस सकते हैं।

तत्कालीन सीईओ जनपद पंचायत नागौद ओपी अस्थाना द्वारा ग्राम पंचायत जसो के सचिव का प्रभार स्वयं लेकर विभिन्न कार्यों में इनके द्वारा 16 लाख रुपए का गबन किया गया था। मामले की जांच में वे दोषी पाए गए। इस पर पुलिस ने ओपी अस्थाना के विरुद्ध न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश नागौद के यहां 27 अक्टूबर को भा.द. संहिता की धारा 409, 467, 468, 420, 34 एवं 210 के तहत चालान प्रस्तुत किया। इस पर अपर सत्र न्यायाधीश नागौद ने दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद ओपी अस्थाना सहित दो अन्य के विरुद्ध धारा 409 की सहपठित धारा 34, 467 सहपठित धारा 34, 468 सहपठित धारा 34, 420 सहपठित धारा 34, 201 भा.दं.सं का अपराध विरचित किया। इस तरह तत्कालीन जनपद सीईओ नागौद एवं वर्तमान सीईओ रामनगर ओपी अस्थाना के विरुद्ध कोर्ट में चालान पेश होने और चार्ज फ्रेम होने के बाद मध्यप्रदेश सिविल सेवा नियम के तहत इन्हें पद पर बने रहने का अधिकार नहीं रह जाता है। ऐसे में इन पर निलंबन की कार्रवाई बनती है। अस्थाना को निलंबन का अधिकार संभागायुक्त के पास होने के बाद भी संभागायुक्त एसके पाल ने इन्हें निलंबित नहीं किया।

विधायक ने किया सवाल
मामले में विधायक नीलांशु चतुर्वेदी ने विधानसभा में यह सवाल किया है कि वर्तमान में रामनगर जनपद में पदस्थ सीईओ की अब तक की पदस्थापना के दौरान इनके विरुद्ध कितनी जांचे हुईं। साथ ही यह भी जानना चाहा है कि इन सीईओ के विरुद्ध नागौद न्यायालय में 420 के प्रकरण का चालान पेश हो चुका है तथा चार्ज भी लग गया है। लेकिन जिला कलेक्टर एवं जिपं सीईओ द्वारा आज दिनांक तक निलंबित नहीं किया गया। प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग कब तक इन्हें निलंबित करने का आदेश जारी करेंगे?

मिलीभगत से बच रहे सीईओ
इस मामले में शिकायतकर्ता ने कहा है कि मध्यप्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 नियम 9 के उपनियम (1) में स्पष्ट कहा गया है कि शासकीय सेवक को सदैव निलंबित किया जाएगा, जबकि भ्रष्टाचार या अन्य नैतिक पतन में अन्तर्वलित दाण्डिक अपराध में सरकार द्वारा अभियोजन की स्वीकृति के पश्चात उसके विरुद्ध चालान प्रस्तुत किया गया है। इस आधार पर जनपद सीईओ अस्थाना को पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं रह जाता है। साथ ही शासन के निर्देश के बाद भी यदि संभागायुक्त संबंधित पर कार्रवाई नहीं कर रहे जो साबित करता है कि उनकी कोई मिलीभगत है।

शासन के निर्देश के बाद भी कार्रवाई नहीं
चालान पेश होने और चार्ज फ्रेम होने के बाद भी जब सीईओ ओपी अस्थाना पर कार्रवाई नहीं हुई तो राजाभैया तिवारी ने इसकी शिकायत राज्य रोजगार गारंटी परिषद में की। इसके बाद संयुक्त आयुक्त (स्था.) विकास आयुक्त कार्यालय अनिल कुमार द्विवेदी ने 5 जनवरी 2018 को आयुक्त रीवा संभाग को इस संबंध में पत्र लिखा। इसमें कहा गया कि अपर सत्र न्यायाधीश नागौद जिला सतना के यहां चार्जशीट पेश होने पर एवं चार्ज फ्रेम होने के कारण इस मामले में कार्रवाई कर अवगत कराएं। लेकिन संभागायुक्त एसके पाल ने इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की।