
The accused who made illegal recovery from bus-auto on remand
सतना. बस स्टैण्ड के बाहर हाइवे में ऑटो चालकों से अवैध वसूली करने वाले गिरोह के दो सदस्यों के पकड़े जाने के बाद हुए खुलासे में नगर निगम के एक अफसर भी फंस गए हैं। गुरुवार को पकड़े गए दोनों आरोपियों को शुक्रवार को पुलिस ने अदालत में पेश करते हुए पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया है। अब इनसे जानकारी जुटाई जा रही है कि हर दिन कितने की वसूली होती थी और उसका पैसा किस तरह कहां जाता था।
गौरतलब है कि पुलिस अधीक्षक धर्मवीर सिंह यादव के निर्देश पर गुरुवार की दोपहर यातायात थाना के स्टॉफ ने दबिश करते हुए वसूली करने वालों को रंगेहाथ पकड़ा था। यातायात थाना प्रभारी सूबेदार अनीमा तिर्की, सूबेदार पूनम रावत, एएसआइ लाखन पंडा, आरक्षक बाबू यादव, प्रताप सिंह की टीम ने कार्रवाही के बाद आरोपियों को कोलगवां थाना पुलिस के हवाले कर दिया था। जहां पुलिस ने आइपीसी की धारा 386, 34 के तहत अपराध कायम कर आरोपी सिया शरण यादव पुत्र मनीराम यादव निवासी बृजपुर थाना पहाड़ीखेरा जिला पन्ना हाल कोलगवां व प्रकाश यादव पुत्र सुन्दर लाल यादव निवासी नवरंग कॉलोनी कोलगवां से पूछताछ शुरू की।
ननि अधिकारी लगा रहा सिफारिश
आरोपी सिया शरण और प्रकाश यादव ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि दोनों तेजबली यादव के लिए काम करते हैं। नगर पालिक निगम का सहायत राजस्व निरीक्षक राजाबाबू चौरहा इन्हें वसूली के लिए रसीद उपलब्ध कराता था। पुलिस की कार्रवाही के दौरान यह बात सामने आई कि नगर निगम से ऑटो चालकों से पर्किंग शुल्क वसूली के लिए मस्टर श्रमिक सतीश कुमार पाण्डेय और बस चालकों से राजस्व वसूली के लिए मस्टर श्रमिक गृजेश मिश्रा की ड्यूटी लगाई गई थी। लेकिन सहायक राजस्व निरीक्षक सीधे तौर पर मस्टर कर्मचारियों से वसूली नहीं कराते हुए प्राइवेट लोगों से अवैध वसूली करा रहा था। पुलिस ने मस्टर कर्मचारियों को भी शुक्रवार को बयान के लिए थाने बुलाया। अब गर्दन फंसते देख ननि अधिकारी खुद को बचाने सिफारिश लगा रहा है।
फर्जी रसीद पर लाखों का खेल
अब जब पुलिस ने नगर निगम के अधिकारी पर केस दर्ज कर लिया है तो और भी परतें खुलने के आसार हैं। उप राजस्व निरीक्षक बालमुकुन्द चर्मकार के नीचे राजाबाबू चौरहा काम करता है। लाजमी है कि बालमुकुन्द को भी यह पता होगा कि प्राइवेट लोगों से वसूली कराई जा रही है। सूत्रों का कहना है कि प्राइवेट लोगों से वसूली कराने के लिए जो रसीद दी जाती थी वह फर्जी है। नगर निगम के अधिकारी अब इसकी जांच करें कि हर रोज वसूली का कितना पैसा जमा होता था। नगर निगम द्वारा जारी रसीद और आरोपियों से मिली रसीद का मिलान भी जरूरी है।
Published on:
27 Aug 2021 11:28 pm
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