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हड्डी से चिपकी चमड़ी, रगों में नाममात्र का खून, डॉक्टर बोले-बचने की नहीं उम्मीद, घर ले जाओ

जिले में कुपोषण का कड़वा सच

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The bitter truth of malnutrition in the district

The bitter truth of malnutrition in the district

सतना. जिला अस्पताल में सोमवार को कुपोषण का कड़वा सच देखने को मिला। रगों में नाममात्र का रक्त, हड्डी से चिपकी चमड़ी... यह नियति है कुपोषण के शिकार पंद्रह वर्षीय अमित की। उसको गोद में लेकर परिजन इलाज के लिए भटकते नजर आए। पूछने पर बताया कि शरीर के अंग काम करना बंद कर चुके हैं। चिकित्सकों भी मानते हैं कि बचने की उम्मीद न के बराबर है। घर ले जाने का परामर्श दिया है। शरीर में पोषक तत्वों की कमी की वजह से एक नहीं बल्कि दस गंभीर बीमारियों ने घेर लिया है। अब वह अपनी मां से अच्छे से बात भी नहीं कर पाता है। इकलौते बेटे की एेसी हालत देख मां सिहर जाती है।

दरअसल, बिरसिंहपुर के कटरा टोला निवासी अमित का जन्म ही दुखों के साथ हुआ। कुदरत ने गर्भ में ही मर्ज दे दिया था। इस वजह से वह चल भी नहीं पाता था। लेकिन, शारीरिक रूप से तंदरुस्त था। कुछ दिनों पहले वह कुपोषण का शिकार हो गया। शरीर कमजोर हो गया। धीरे-धीरे अनेक रोगों ने घेर लिया। स्थिति जब गंभीर हुई तो परिजन जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। चिकित्सकों के परामर्श पर मां ने कलेजे के टुकड़े को शिशु रोग वार्ड में भर्ती करा दिया।

पोषकतत्वों की कमी
विशेषज्ञ चिकित्सकों ने बताया कि प्रोटीन, ग्लूकोज, कार्बोहाईड्रेट सहित अन्य पोषकतत्वों की कमी बनी हुई है। प्रोटीन की कमी ने अमित के शारीरिक विकास को थाम दिया है। अब तो वह बिस्तर पर करवट भी नहीं बदल पाता है। शरीर धीरे-धीरे सिकुड़ता जा रहा है। मांसपेशियां कमजोर हो चुकी हैं। कार्बोहाइड्रेट की कमी से लीवर भी प्रभावित हो चुका है। इससे पाचन तंत्र भी गड़बड़ा गया है। आंतों में भोज्य पदार्थों को अवशोषित करने की क्षमता भी नहीं रह गई है। शरीर को ऊर्जा नहीं मिल पा रही है। इससे अमित बातचीत की भी हिम्मत भी गवां रहा है।

मां और मामा कर रहे देखभाल

मासूम की देखभाल मां और मामा कर रहे हैं। चिकित्सकों ने सोमवार सुबह राउंड के बाद स्थिति नाजुक बताकर हाथ खड़े कर दिए। कहा- अमित पर दवाइयों का भी असर नहीं हो रहा है। घर ले जाओ तो ज्यादा अच्छा रहेगा। लेकिन मां को कलेजे के इकलौते टुकड़े के स्वस्थ्य होने का पूरा भरोसा है। हालांकि बेटे की दशा देख उसकी आंखों में बार-बार आंसू भर आते हैं।

ऐसी है हकीकत
जिले में कुल परियोजनाएं-14

जिले में कुल आंगनबाड़ी केंद्र-3034
जिले में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-3001

जिले में आंगनबाड़ी सहायिका-2670

आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषाहार लाभार्थी
आयु दर्ज लाभार्थाी

6 माह से 3 वर्ष 10567 102704
3 से 6 वर्ष 113150 99815

गर्भवती 21456 20593

जिले में पोषण की स्थिति
जिले में वजन लिए गए कुल बच्चों की संख्या-203667

जिले में सामान्य वजन के कुल बच्चों की संख्या-163768
जिले में कम वजन के कुल बच्चों की संख्या-35922

जिले में अतिकम वजन के कुल बच्चों की संख्या-3977
गंभीर कुपोषण के शिकार-183 (मध्य भुजा की माप 11 सेमी से भी कम )

जिलेभर में पोषण पुनर्वास केंद्र-9
पोषण पुनर्वास केंद्रों की बेड संख्या-100

वर्ष २०१७-१८ में दाखिल कुपोषित-1827
भर्ती होने के बाद वजन बढऩे वाले कुपोषित-1294

भर्ती के बाद लाभांवित बच्चों का प्रतिशत-71
जिले में कुल आशा कार्यकर्ता-2312