
Teachers of schools with weak results will now be examined
सतना. जिन हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों के बोर्ड परीक्षा परिणाम 30 फीसदी से कम हैं वहां के शिक्षकों को अब परीक्षा देनी होगी। यह परीक्षा पिछले चार साल के दसवीं और बारहवीं के प्रश्न पत्रों के आधार पर होगी। स्कूल शिक्षा विभाग 12 जून को परीक्षा कराएगा। विभाग का मानना है कि इसी बहाने शिक्षकों का पाठ्यक्रम भी रिव्यू हो जाएगा।
दरअसल, स्कूल शिक्षा विभाग ने हाईस्कूल और हायर सेकंडरी के 2018 के परिणामों की समीक्षा के साथ ही उनका 2019 के परिणामों के साथ तुलनात्मक अध्ययन किया। इसके बाद विभाग इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि जहां भी परिणाम खराब आए हैं उसके पीछे मूल कमी शैक्षणिक व्यवस्था की ही रही है। विभाग ने यह भी पाया कि शिक्षकों को खुद भी पाठ का ज्ञान नहीं है और उनके पढ़ाने का स्तर कमजोर है। ऐसे में अब परीक्षा का निर्णय लिया गया है।
रीवा संभाग प्रदेश भर में फिसड्डी
बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम घोषित होने के साथ ही स्कूल शिक्षा विभाग ने वर्ष 2018 के परीक्षा परिणामों की समीक्षा के लिए जिला एवं संभाग के शिक्षा अधिकारियों को बुलाया गया। इसमें पाया गया कि प्रदेश में रीवा संभाग पढ़ाई के मामले में सबसे फिसड्डी है। 2018 में 30 फीसदी से कम परिणाम वाले स्कूलों में अकेले 40 फीसदी रीवा संभाग के हैं। यही स्थिति 2019 के परिणामों में भी सामने आई है। हालात यह रहे कि रीवा संभाग के जिलों के परिणाम भी पिछले साल से गिरे हैं। ऐसे में इन जिलों के डीईओ और संयुक्त संचालक से परिणाम सुधार की रणनीति पर चर्चा की गई।
जिम्मेदार अपनी कमी स्वीकार करें
सभी अधिकारियों से चर्चा के बाद प्रमुख सचिव ने दो टूक कहा कि न्यून परिणामों के लिए जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं। इनके द्वारा अपनी कमी न मानते हुए अन्य पर दोषारोपण किया जा रहा। साथ ही यह भी कहा कि माध्यमिक स्तर तक के विद्यालयों में न्यून गुणवत्ता और खराब परिणामों के संबंध में संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी व जिला परियोजना समन्वयक ने जिम्मेदार शिक्षकों पर कोई कार्रवाई नहीं की। यह अधिकारी खराब परिणामों के लिए विषयमान शिक्षकों की कमी, अतिथि शिक्षकों की अनुपलब्धता, अधोसंरचना की कमी, माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की कम गुणवत्ता आदि का रोना रोया है। पीएस ने कहा कि यह स्थितियां तो सभी जिलों में हैं फिर भी कई जिलों ने बेहतर परीक्षा परिणाम दिए हैं। इससे साबित हो रहा कि जहां खराब परिणाम आए हैं वहां पठन पाठन में शैक्षणिक अमले द्वारा लापरवाही की गई और इन पर निगरानी के जिम्मेदार शिक्षाधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया ।
अब देनी होगी परीक्षा
हमेशा बच्चों को कमजोर बताकर अपनी जिम्मेदारी से बचने वाले शैक्षणिक अमले को भी इस बार प्रमुख सचिव ने दोषी माना है। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से यह माना कि शिक्षकों का पढ़ाई के प्रति रवैया सही नहीं है। उनका पठन पाठन को लेकर एटीट्यूड सही नहीं है। इसके मद्देनजर उन्होंने निर्णय लिया कि बोर्ड परीक्षा में जिन विद्यालयों का परिणाम 30 फीसदी से कम है वहां के शिक्षकों की परीक्षा आयोजित की जाएगी। परीक्षा 12 जून को आयोजित की जाएगी। परीक्षा में पिछले चार सालों के दसवीं और बारहवीं के बोर्ड परीक्षा के प्रश्र पत्रों के आधार पर पेपर तैयार किए जाएंगे। यह पेपर डाइट स्तर पर तैयार होंगे।
8 वीं के शिक्षकों की होगी परीक्षा
प्रमुख सचिव ने यह भी निर्देश दिए कि 8वीं के शिक्षकों के लिए प्रतिभा पर्व के प्रश्र पत्रों पर आधारित प्रश्र पत्र तैयार कर इनकी भी परीक्षा ली जाए। इसके पीछे की जो वजह सामने आई है कि उसमें पाया गया है कि शिक्षकों को यह तक पता नहीं होता है कि किस अध्याय में क्या है। पढ़ाई का माड्यूल तक नहीं पता है। शिक्षक की अध्यापन में रुचि नहीं है।
खराब परिणामों की संख्या में हुई वृद्धि
दसवीं परीक्षा के 2018 और 2019 के परिणामों का विश्लेषण करने पर पाया कि सतना जिले में परिणाम काफी शर्मनाक रहे। यहां 50% से कम परिणाम देने वाले विद्यालयों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है जबकि 100 फीसदी और 90 फीसदी से अधिक परिणाम देने वाले विद्यालयों की संख्या में गिरावट आई है।
Published on:
27 May 2019 10:54 pm
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