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इस अस्पताल में राशन दुकान की तरह लगती है मरीजों की लाइन

डॉक्टर गायब, देखने वाला कोई नहीं , जिला अस्पताल 'भगवान' भरोसे

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The ration shop in this hospital looks like the patients line

The ration shop in this hospital looks like the patients line

सतना. चिकित्सक भगवान का दूसरा रूप होता है। यदि यह कहावत सही है तो विंध्य की औद्योगिक राजधानी सतना का जिला अस्पताल फिलहाल भगवान भरोसे ही चल रहा है। यहां खचाखच भरी ओपीडी में दर्द से कराहते मरीजों की पीड़ा तब और बढ़ जाती है जब घंटों इंतजार के बाद भी उन्हें ओपीडी में 'भगवानÓ के दर्शन नहीं होते। जिले के दूरदराज ग्रामीण अंचल से इलाज के लिए जिला अस्पताल आने वाले मरीजों को इलाज से पहले इंतजार की पीड़ा से गुजरना पड़ता है। शनिवार को जिला अस्पताल की ओपीडी की स्थिति को देखकर मरीजों का अनुभव कुछ एेसा ही रहा। बाकी पांच दिन ओपीडी कैसे चलती है भगवान जाने..।

बदलते रहे कतार
स्थान जिला अस्पताल की ओपीडी। समय सुबह 9.30 बजे। ओपीडी मरीजों से खचाखच भरी थी। ओपीडी के बरामदे में मरीजों के इंतजार के लिए रखी कुर्सियों में जगह न होने से सैकड़ों मरीज जमीन पर बैठकर चिकित्सक के आने की राह देख रहे थे। जो मरीज व उनके परिजन सुबह जल्दी आ गए थे, वे चिकित्सकों के कक्ष के बाहर लाइन में सिर्फ इसलिए खड़े थे कि उन्हें जल्दी इलाज मिल सके। लेकिन सुबह से कतार में खड़े मरीज और उनके परिजनों के मुरझाए चेहरों पर सिकन तब आने लगी, जब दो घंटे इंतजार के बाद भी चिकित्सक ओपीडी नहीं पहुंचे। मजबूरी में कुछ मरीज निराश होकर लौटने लगे तो कुछ ने विशेषज्ञ उपस्थित न होने के कारण काम चलाऊ डॉक्टर से इलाज कराना ही उचित समझा और दूसरी कतार में जाकर खड़े हो गए।
एक हजार मरीज पर चार चिकित्सक

जिला अस्पताल में इलाज करने के लिए दो दर्जन से अधिक विशेषज्ञ चिकित्सक तैनात हैं। शनिवार को ओपीडी में भारी भीड़ के बावजूद इलाज के लिए सिर्फ चार चिकित्सक ही नजर आए। ओपीडी में चिकित्सकों की कमी का खामियाजा मरीजों को लंबी लाइन में खड़ा होकर भुगतना पड़ा। सुबह ८ बजे खुलने वाली ओपीडी में 9.30 बजे सिर्फ चार चिकित्सक उपस्थित थे। इनमें एक शिशुरोग विशेषज्ञ, एक नाक, कान गला तथा मेडिसिन के दो डॉक्टर शामिल हंै। इनमें से एक मेडिकल ऑफिसर तो सिर्फ चीन्ह-चीन्ह कर मजीरों को अटेंड कर रहा था। इस मनमानी का खामियाजा दूसरे मेडिकल ऑफिसर को अधिक मरीज देखकर भुगतनी पड़ी। 11.30 बजे तक हड्डी और सर्जरी का कोई भी चिकित्सक ओपीडी नहीं पहुंचा। इसलिए उनके कक्ष के बाहर मरीजों की लंबी कतार देखी गई।

जब मची अफरा-तफरी
सुबह से पेट दर्द और टूटी हड्डी की पीड़ा से कराह रहे मरीजों को तीन घंटे इंतजार के बाद जब डॉक्टर मिले तो सर्जरी और हड्डी चिकित्सक के कक्ष के बाहर राशन दुकान जैसा दृश्य दिखाई देने लगा। कतार छोड़ मरीज एक-दूसरे के साथ धक्कामुक्की करते हुए चिकित्सक के पास पहुंचने की जद्दोजहद करते रहे। चिकित्सक की फटकार के बार कुछ स्थिति सुधरी। लेकिन पहले दिखाने की कोशिश में धक्का मुक्की का क्रम जारी रहा। अस्पताल की ओपीडी का दृश्य देख कुछ मरीज और उनके परिजन कतार में खड़े होने की हिम्मत नहीं जुटा पाए और वह डाक्टर की क्लीनिक की ओर रुख कर लिए।