
6 IAS prepare Blueprint of common Service Center
सतना. प्रदेश सरकार ग्रामीणों तक शासकीय सेवाओं की पहुंच आसान बनाने के लिए जल्द ही कॉमन सर्विस सेंटर की शुरुआत करने जा रही है। व्यवस्था प्रदेश में किस तरह से लागू होगी, ये सेंटर ग्राम पंचायतों में किस तरह से काम करेंगे, इसका ब्लू प्रिंट तैयार करने के लिए 6 आइएएस अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है। इन्हें दो सप्ताह में पूरा प्रजेंटेशन तैयार कर सरकार को देना होगा। इसके बाद पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग इसका अध्ययन कर आगे की रणनीति तय करेगा। जिस टीम को ब्लू प्रिंट तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है उसमें सतना जिपं सीईओ साकेत मालवीय भी शामिल हैं। टीम को अभी हाल महाराष्ट्र में चल रही इस व्यवस्था के अध्ययन के लिए भी भेजा गया था।
चुनाव बाद प्रदेश सरकार अब लोगों के बीच विशेषकर ग्रामीणों तक अपनी पकड़ मजबूत करने की तैयारी में जुट गई है। इसके लिए सरकार ने शासकीय सेवाओं का लाभ ग्रामीणों के घर तक पहुंचाने की दिशा में काम करने जा रही है। सरकार ने पाया कि अभी ग्रामीणों को राजस्व विभाग, बिजली कंपनी, पंचायत विभाग सहित अन्य विभागों से जुड़ी सेवाओं को पाने के लिए तहसील और जिला मुख्यालयों के कई चक्कर लगाने पड़ते थे। इस पर सरकार ने निर्णय लिया कि इन सेवाओं की पहुंच गांव तक कर दी जाए। इससे ग्रामीणों को परेशानी का सामना न करना पड़े। इसके लिए कामन सर्विस सेन्टर का कान्सेप्ट तय किया गया। प्रत्येक ग्राम पंचायत में इस सेन्टर की स्थापना की जाएगी। जहां से लोगों को नक्शा, खसरा की नकल मिल सकेगी तो यहीं से आधार कार्ड, पैन कार्ड सहित अन्य आवेदन करने की सुविधा मिलेगी। साथ ही यहां से विभिन्न बिल जैसे बिजली, पानी अदि जमा किए जा सकेंगे। बताया जा रहा है कि अभी प्रारंभिक तौर पर 90 से ज्यादा सेवाएं ग्रामीण क्षेत्र के इन सर्विस सेन्टरों में दी जा सकेंगी।
यह है कमेटी
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने सीएससी की कार्यप्रणाली की विस्तृत रूपरेखा तैयार करने के लिए छह सदस्यीय कमेटी गठित की है। इसके अध्यक्ष शहडोल जिपं सीईओ एसके चैतन्य हैं। अन्य सदस्यों में सतना जिपं सीइओ साकेत मालवीय, सीधी सीइओ अवि प्रसाद, शाजापुर सीइओ क्षितिज सिंघल, बड़वानी सीइओ अंकित अस्थाना और बैतूल सीइओ एमएल त्यागी शामिल हैं।
महाराष्ट्र का किया अध्ययन
बताया गया कि सीएससी का कान्सेप्ट भारत सरकार का पुराना कान्सेप्ट है और इसी तरह से प्रदेश में एमपी आनलाइन और लोक सेवा केन्द्र चल रहे हैं। लेकिन यहां पर सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं और सबके सिस्टम अलग-अलग हैं। उधर महाराष्ट्र में सीएससी मॉडल पूरी तरह से चल रहा है और यहां विभिन्न विभागों ने अपनी सेवाएं सीएससी के साफ्टवेयर से जोड़ रखी है। इसका अध्ययन करने के लिए प्रदेश के ये सभी अधिकारी महाराष्ट्र गए थे। ग्राम पंचायतों से जुड़ी सभी सेवाएं इस केन्द्र से मिलती है साथ ही अन्य विभागों की सेवाओं को भी इससे लिंक कर दिया गया।
बनेगा मॉडल प्लान
महाराष्ट्र में लागू सीएससी सिस्टम के अध्ययन के बाद इसे मध्यप्रदेश के हिसाब से और बेहतर बनाने ६ आइएएस अधिकारी अपना मॉडल प्लान तैयार करेंगे। इसमें सीएससी में दी जाने वाली सेवाएं, यहां कार्यरत लोगों की संख्या, कार्य क्षमता, संसाधन, ग्राम पंचायतों में शुरू करने निधि की आवश्यकता आदि पर विचार करेंगे। फिर इसे पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को सौंपा जाएगा। जहां इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। फिर यह निर्णय होगा कि यह शासन स्तर से चलाया जाएगा या निजी हाथों में दिया जाएगा। अगर निजी हाथों में दिया जाएगा तो किसी एक संस्था को यह ग्राम पंचायत वार स्थानीय लोगों को दिया जाना है। यह सब तय होने के बाद इसका साफ्टवेयर तैयार होगा। इसमें बाद में इससे जुडऩे वाले विभिन्न विभागों को लिंक भी किया जाएगा। पूरा सिस्टम तैयार होने के बाद यह निर्णय लिया जाएगा कि इसे पूरे प्रदेश में एक साथ लागू किया जाता है या फिर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में।
" सीएससी बेहतर कान्सेप्ट है। इससे ग्रामीणों को काफी लाभ मिलेगा और उन्हें सेवाओं के लिए दूर दराज नहीं जाना पड़ेगा। दो सप्ताह में इसका प्लान तैयार करके देना है। इसके बाद आगे का निर्णय शासन स्तर से होगा।"
- साकेत मालवीय, जिपं सीईओ सतना
Updated on:
02 Jun 2019 11:13 pm
Published on:
02 Jun 2019 11:10 pm
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