
सतना। नगर निगम सतना के महापौर योगेश ताम्रकार पर पद निरर्हता की तलवार लटक गई है। इन्होंने अगस्त 2024 में डिमांड नोटिस जारी होने के बाद भी 65.46 लाख रुपए टैक्स बकाया जमा नहीं किया है। नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 17 के तहत 3 डिमांड नोटिस के तीन माह के अंदर बकाया जमा नहीं करने पर महापौर पद से निरर्हता प्रभावी हो जाती है। इस मामले की उच्च स्तरीय शिकायत होने के बाद अब उप सचिव नगरीय विकास एवं आवास विभाग आरके कार्तिकेय ने आयुक्त नगरीय प्रशासन और कलेक्टर से वस्तु स्थिति का प्रतिवेदन तलब किया है।
यह है मामला
जानकारी के अनुसार महापौर योगेश ताम्रकार के स्वामित्व की वार्ड क्रमांक 19 के जोन 1 सिंधी कैम्प में विन्ध्या सेरेमिक्स प्रा.लि. नाम से कंपनी संचालित है। नगर निगम ने 26 मार्च 2016 को योगेश ताम्रकार सहित 30 भवन स्वामियों को बकाया संपत्तिकर जमा करने नोटिस जारी किया था। इसमें योगेश ताम्रकार को बकाया राशि 21,60,725 रुपए जमा करने का आदेश दिया गया था। योगेश ताम्रकार सहित सभी 30 बकायादारों ने संपत्तिकर जमा न करते हुए नोटिस के विरुद्ध न्यायालय प्रथम अपर जिला न्यायाधीश के यहां अपील कर दी। न्यायालय ने वर्ष 2011-12 एवं इसके बाद का संपत्तिकर का भुगतान एक माह में करने का आदेश दिया। साथ ही 1997-98 से 2010-11 के लिए संपत्तिकर का पुन: अवधारणा करने कहा।
हाईकोर्ट में की अपील
प्रथम अपर जिला न्यायाधीश के फैसले से असंतुष्ट होकर योगेश ताम्रकार सहित अन्य लोग उच्च न्यायालय जबलपुर में रिवीजन के लिए चले गए। जहां से न्यायालय ने रिवीजन को विचाराधीन रखते हुए संपत्तिकर की वसूली को स्थगित रखने का आदेश दिया। लेकिन इस मामले में आदेश पारित होने से पहले ही रिवीजन प्रस्तुतकर्ताओं ने रिवीजन वापस ले लिया।
निगम ने पुन: जारी किया नोटिस
हाईकोर्ट से रिवीजन वापस होने के बाद प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश सतना के न्यायालय का पारित आदेश प्रभावी हो गया। जिसके परिप्रेक्क्ष्य में निगमायुक्त ने योगेश ताम्रकार को 23 अगस्त को संपत्तिकर की बकाया राशि 65,46,592 रुपए जमा करने का नोटिस जारी कर दिया। लेकिन यह राशि जमा नहीं की गई।
इसलिए बिगड़ी स्थिति
इस मामले में प्रमुख सचिव नगरीय विकास के पास नगर पालिक अधिनियम 1956 की धारा 17 की उपधारा (2) के खंड डी में उल्लेखित प्रावधान के तहत योगेश ताम्रकार को महापौर पद के लिए अयोग्य बताने वाली शिकायत पहुंची। जिसमें कहा गया है कि धारा 17(2)(डी) के तहत 'महापौर अपने पद के लिए निरर्हित हो जाएगा यदि किसी प्रकार के किन्ही भी ऐसे अवशेषों का जो उनके द्वारा निगम को देय हो, इस संबंध में उस पर सूचना पत्र के निर्वाह किये जाने के पश्चात तीन माह के भीतर भुगतान न करे। शिकायत में कहा गया है कि योगेश ताम्रकार ने नोटिस के बाद भी तीन माह से ज्यादा समय बीतने पर भी राशि का भुगतान नहीं किया है, लिहाजा उन्हें महापौर के पद के लिए निरर्हित घोषित किया जाए। इसी तरह की शिकायत पार्षद गोपी गेलानी की भी की गई है।
शासन ने मांगा जवाब
प्रमुख सचिव तक पहुंचे इस आवेदन के बाद अब राज्य शासन ने इस मामले में आयुक्त नगरीय प्रशासन और कलेक्टर से वस्तु स्थिति का प्रतिवेदन तलब किया है।
"शासन का पत्र प्राप्त हुआ है। मामले में संबंधित का भी पक्ष लिया जाएगा। इसके साथ ही नगर निगम आयुक्त से भी मौजूदा स्थिति का प्रतिवेदन लिया जाएगा। इसके अनुसार ही शासन को विधि सम्मत तरीके से प्रतिवेदन भेजा जाएगा।" - डॉ. सतीश कुमार एस, कलेक्टर
Published on:
06 Mar 2025 08:31 am
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