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मैहर का मां शारदा मंदिर, दुनियाभर में कई रहस्यों के कारण चर्चाओं में रहता है। मान्यता है कि यहां दो वीर योद्धा आल्हा और उदल माता की आरती करने हर रात को आते हैं, लेकिन कभी दिखाई नहीं देते हैं। शाम की आरती होने के बाद जब मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं और पुजारी पहाड़ से नीचे उतरकर आ जाते हैं, तब रात में घंटियों की आवाजें सुनाई देती हैं। पुजारी जब अगले दिन सुबह मंदिर में पहुंचते हैं तो वहां पुष्प चढ़े हुए मिलते हैं। मंदिर से जुड़े बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि आल्हा-उदल मैहर वाली माता के परम भक्त हैं, जो हर रात को पूजा करने आते हैं।
रुकने वालों की हो जाती है मौत
सदियों से यह बात प्रचलित है कि जहां मां शारदा का मंदिर है, उस पहाड़ी पर कोई भी व्यक्ति रात को नहीं रुकता है। जो भी रुकता है उसकी मौत हो जाती है।
कौन हैं आल्हा उदल
यह वही आल्हा उदल है, जिन्होंने पृथ्वीराज चौहान के साथ युद्ध किया था। आल्हा और उदल ने ही सबसे पहले जंगलों के बीच शारदा देवी के इस मंदिर को खोजा था। दोनों भाइयों की भक्ति और तपस्या से प्रसन्न होकर माता ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया था।
यह भी कहा जाता है कि आल्हा माता को माई कहकर पुकारा करते था। इसीलिए बाद में माई से मैहर नाम हो गया। पहाड़ के पीछे की तरफ एक तालाब है जिसे आल्हा तालाब कहा जाता है। यहीं से दो किलोमीटर दूरी पर एक अखाड़ा है जिसमें आल्हा और उदल कुश्ती लड़ते थे।
क्या कहते हैं मुख्य पुजारी
मंदिर के मुख्य पुजारी कहते हैं कि 52 शक्ति पीठों में मैहर की शारदा ही ऐसी देवी है जहां अमरता का वरदान मिलता है। माता की कृपा कब किस पर हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। हालांकि माता की एक दर्जन कथाएं आज भी सुनाई जाती हैं। मंदिर के बड़े पुजारी के मुताबिक वे मैट्रिक की पढ़ाई के बाद पुलिस सेवा में जाना चाहते थे, लेकिन वे माता को छोड़कर नहीं जा सके।
रहस्य बरकरार है
पुजारी बताते हैं कि यहां सुबह घोड़े की लीद और दातून पड़ी रहती है। कई लोग दावा करते हैं कि माता की पहली पूजा करने के लिए आल्हा ही आते हैं, लेकिन मैं इन सब बातों का दावा नहीं कर सकता। हां 60 वर्षों की पूजा के दौरान एक बार मुझे महसूस हो चुका है कि कुछ जरूर है। पंडितजी कहते हैं कि एक बार वे पूजा कर घर चले गए थे। सुबह मंदिर का पट खोलकर पूजा की शुरुआत की तो पहले से ही पुष्प माता के दर पर चढ़े हुए थे। फिर भी मन नहीं माना तो माता की चुनरी को उठाया तो अंदर भी पुष्प दिखाई दिए। तब से हमें भी महसूस होने लगा कि मां अजर-अमर हैं।
एक नजर
600 फीट की ऊंचाई पर है यह मंदिर
800 साल से लगातार होती है पूजा
Updated on:
28 Jul 2023 04:31 pm
Published on:
28 Jul 2023 04:29 pm
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