राम वन गमन पथ को लेकर संस्कृति विभाग से जानकारी भी ली गई थी। जिसके अनुसार भगवान राम चित्रकूट में साढ़े ग्यारह साल रूके थे। इसके बाद सतना, पन्ना, शहडोल, जबलपुर, विदिशा के वन क्षेत्रों से होकर दंडकारण्य चले गए थे। वे नचना, भरहुत, उचेहरा, भेड़ाघाट एवं बांधवगढ़ होते हुए छत्तीसगढ़ गए थे। इसी आधार पर राम पथ गमन को खोजना व विकसित करना था।