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अमावस्या पर मेले में उमड़ी भीड़, शिवकुण्ड में किया स्नान …

अमावस्या के मौके पर भारी भीड़ रही। मेले में जौला, आदलवाड़ा कलां, मानपुर, बंधा, त्रिलोकपुरा, टोरडा, झौपड़ा, सिरोही, सुनारी, बनोटा

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अमावस्या

अमावस्या के मौके पर भारी भीड़

भगवतगढ़. कस्बे में पीले तालाब बस स्टैंड के पास शुरू हुए गुदरी मेले में अमावस्या के मौके पर भारी भीड़ रही। मेले में जौला, आदलवाड़ा कलां, मानपुर, बंधा, त्रिलोकपुरा, टोरडा, झौपड़ा, सिरोही, सुनारी, बनोटा आदि गांवों से हजारों की संख्या में लोगों ने शिरकत की। मंगलवार को विभिन्न साधनों से लोग भगवान अरनेश्वर महादेव शिवकुण्ड धाम पहुंचे। वहां उन्होंने कुण्ड में स्नान कर भगवान भोले के दर्शन किए। इसके बाद मेले का आनंद उठाया। मेले में जगह के अभाव में भीड़ के कारण लोगों को कई बार परेशानी का सामना भी करना पड़ा। कस्बे के सरपंच मुकेश कुमार मीना ने भी मेले का आनंद लेते हुए मेले की व्यवस्थाओं का जायजा लिया।

पौषबड़ा वितरण आज
सवाईमाधोपुर. पुलिस लाइन स्थित चौराहे पर बुधवार सुबह ग्यारह बजे से पौषबड़ा वितरण होगा। यह जानकारी आयोजन से जुड़े पार्षद नरेश चावला ने दी।

कन्हैया पद दंगल के दूसरे दिन उमड़े श्रोता
भाड़ौती. तारनपुर पंचायत में तीन दिवसीय कन्हैया पद दंगल में दूसरे दिन बड़ी संख्या में लोग उपस्थित हुए। किसान कांग्रेस मीडिया चेयरपर्सन हुकमकेश टाटू नेे बताया कि मंगलवार को कन्हैया पद दंगल में बालाहेत, झारोदा, महारिया आदि विभिन्न स्थानों से आए पद गायक कलाकारों ने कृष्ण सुदामा नानी बाई को मायरो की कथा का बखान किया। इस बीच कन्हैया पद दंगल सुनने के लिए विदेशी पर्यटक भी वहां पर पहुंचे और उनका भी मंच कार्यकर्ताओं द्वारा माला पहनाकर स्वागत किया गया। मेडियाओं ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति देखकर कर श्रोताओं का मनमोह लिया। बुधवार को समापन के मुख्य अतिथि रामकेश मीना पूर्व सांसद सचिव रहेंगे।

कन्हैया दंगल आज
चौथ का बरवाड़ा. बोरदा में बुधवार को कन्हैया पद दंगल होगा। मुख्य अतिथि संसदीय सचिव जितेन्द्र गोठवाल, विशिष्ट अतिथि बरवाड़ा प्रधान देवनारायण मीना, एसडीएम युगांतर शर्मा, तहसीलदार नाथूलाल मीना, सरपंच हरिराम मीना होंगे।

लोककथा : लौहशांग
विराट नगर के राजा सुकीर्ति के पास लौहशांग नामक एक हाथी था। राजा ने कई युद्धों में इस पर आरूढ़ होकर विजय प्राप्त की थी। धीरे-धीरे लौहशांग भी वृद्ध होने लगा और युवावस्था वाला पराक्रम जाता रहा। उपयोगिता और महत्त्व कम हो जाने के कारण उसके भोजन में कमी कर दी गई। अक्सर हाथी को भूखा-प्यासा ही रहना पड़ता। कई दिनों से पानी न मिलने पर एक बार लौहशांग हाथीशाला से निकल कर पुराने तालाब की ओर चला गया। वहां उसने भरपेट पानी पीया और नहाने के लिए गहरे में जाने लगा। उस तालाब में कीचड़ बहुत था तो वृद्ध हाथी उसमें फंस गया।

यह समाचार राजा सुकीर्ति तक पहुंचा। हाथी को निकलवाने के कई प्रयास किए गए, पर फायदा नहीं हुआ। जब सारे प्रयास असफल हो गए, तब एक चतुर मंत्री ने युक्ति सुझाई। सैनिकों को जिरह बख्तर पहनाए गए और सबको हाथी के सामने खड़ा कर दिया गया। हाथी के सामने युद्ध नगाड़े बजने लगे और सैनिक इस प्रकार कूच करने लगे, जैसे वे शत्रु पक्ष की ओर से लौहशांग की ओर बढ़ रहे हैं। यह देखकर लौहशांग में यौवनकाल का जोश आ गया। उसने जोरदार चिंघाड़ लगाई और शत्रु सैनिकों पर आक्रमण करने के लिए कीचड़ से निकलकर उन्हें मारने दौड़ पड़ा। बाद में बड़ी मुश्किल से उसे नियंत्रित किया गया। संसार में मनोबल ही प्रथम है। वह जाग उठे तो असहाय और विवश प्राणी भी असंभव होने वाले काम कर दिखाते हैं।