
सवाईमाधोपुर. मध्यप्रदेश की ही तर्ज पर राजस्थान को भी जल्द ही चीता स्टेट बनने का गौरव प्राप्त हो सकता है। मध्यप्रदेश के कूनों में दो चीतों की मौत और एक चीते के बार-बार जंगल के बाहर जाने के बाद अब चीतों को एमपी से राजस्थान में शिफ्ट करने की मांग जोर पकडऩे लगी है। इसके लिए मध्यप्रदेश वन विभाग की ओर से राजस्थान वन विभाग व नेशनल टाइगर कनजर्वेशन अथॉरिटी व अन्य उच्च अधिकारियों को पत्र भी लिखा गया है। हालांकि अब तक शिफ्टिंग की अनुमति नहीं मिल सकी है। लेकिन, हालातों को देखते हुए जल्द ही अनुमति मिलने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में यदि उच्च अधिकारियों से अनुमति मिलती है तो जल्द ही प्रदेश के जंगलों में भी चीतों की दहाड़ सुनाई दे सकती है।
मुकुंदरा व शेरगढ़ को माना था उपयुक्त
चीता प्रोजेक्ट के शुरू होने से पहले वाइल्ड लाइफ इंस्ट्टियूट ऑफ इण्डिया की टीम ने राजस्थान के कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व व बारां के शेरगढ़ अभयारण्य को भी चीतों के लिए अनकूल माना था। कूनो में चीतों की शिफ्टिंग के बाद बारां के शेरगढ़ अभयारण्य में चीतों को दूसरे चरण में शिफ्ट करने की योजना थी। इसके लिए बारां के शेरगढ़ अभयारण्य में वन विभाग की ओर से प्राथमिक स्तर पर तैयारी भी शुरू कर दी गई थी, लेकिन अब तक शिफ्टिंग नहीं हो सकी है।
100 वर्ग किमी प्रति चीता की दरकार
कूनो अभयारण्य का क्षेत्रफल 750 वर्ग किमी है। वहीं विशेषज्ञों की मानें तो खुले जंगलों में एक चीते को टेरेटरी के लिए कम से कम सौ वर्ग किमी क्षेत्र की दरकार होती है। ऐसे में कूनो में चीतों के लिए जगह कम पड़ रही है। डब्ल्यूआईआई से मिली जानकारी के अनुसार इसी के चलते राजस्थान के कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व और बारां के शेरगढ अभयारण्य को चीतों को शिफ्ट करने के लिए चुना गया था। यहां करीब चार से पांच चीतों को शिफ्ट करने की योजना थी। लेकिन अब तक अनुमति नहीं मिलने के कारण मामला अटका हुआ है।
चीते और पर्यटन दोनों के लिए जरूरी
विशेषज्ञों की मानें तो कूनो में जगह कम पडऩे के कारण परेशानी हो रही है। ऐसे में चीतों को कूनों से शिफ्ट करना जरूरी है। ऐसे में यदि कूनो से मुकुंदरा या शेरगढ़ में चीतों को शिफ्ट किया जाता है तो इससे चीतों को तो बेहतर पर्यावास प्राप्त होगा ही साथ ही राजस्थान भी एमपी के बाद चीतों वाला दूसरा राज्य हो जाएगा और इससे प्रदेश के पर्यटन में भी इजाफा होगा।
कूनो में जगह पड़ रही कम
मध्यप्रदेश वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार एमपी का कूनो अभयारण्य यूं तो चीतों के लिए माकूल है। लेकिन कूनो अभयारण्य का क्षेत्रफल कम होने के कारण यहां पर एक साथ बीस चीतों का रहना संभव नहीं है। पूर्व में वन विभाग की ओर से एमपी के ही गांधी सागर अभयारण्य और नौरादेही अभयारण्य में चीतों को शिफ्ट करने की योजना थी, लेकिन अभी तक दोनों ही जगहों पर प्रेबेस व अन्य सुविधाएं विकसित नहीं की जा सकी है। ऐसे में फिलहाल एमपी के किसी दूसरे अभयारण्य में चीतों को शिफ्ट नहीं किया जा सकता है।
पूर्व में दक्षिण अफ्रीका से आई टीम ने मुकुंदरा को चीतों के लिए उपयुक्त करार दिया था। फिलहाल एमपी वन विभाग की ओर से कुछ चीतों को कूनो से अन्यत्र शिफ्ट करने की बात की जा रही है। हालांकि इस संबंध में अभी आदेश प्राप्त नहीं हुए हैं।
एसपी सिंह, सीसीएफ, मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व, कोटा।
Published on:
30 Apr 2023 10:00 am
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