
स्टार मेल टाइगर
सवाईमाधोपुर . रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान के बाघ टी-28 की मौत को लेकर हर कोई हैरत में है। ये बाघ ना तो बीमार था ना ही बीमारी के बारे में वन विभाग के अधिकारियों को पूर्व में कोई पता था। मौत के चंद घंटों पहले वह एकदम भला चंगा था। बाघ लोगों पर हमला करता दिखाई दिया था। खेतों में छलांग भी लगाता नजर आया था। मौके पर जब अधिकारी इस बाघ को पकडऩे गए तब भी ये बाघ खेतों में शाही अंदाज में चहलकदमी करता नजर आया। वन विभाग ने उसे ट्रंकोलाइज किया। फिर पिंजरे में डाला। फिर गुढ़ा चौकी पर लेकर गए, लेकिन वहां चिकित्सकों से इसे मृत घोषित कर दिया।
मौत की वजह गेस्ट्रिक टॉर्जन बताया जा रहा है। शायद रणथम्भौर इस तरह की बीमारी से मौत का ये पहला मामला है। लेकिन बाघ की मौत को लेकर लोगों को यकींन नहीं हो रहा है। लोगों का कहना है कि बाघ की एकाएक मौत एक रहस्य से कम नहीं है। इस रहस्य से पर्दा उठना चाहिए। लोगों की ओर से ओर से इस मामले लेकर मांग भी उठाई जा रही है। जानकार भी कहते हैं कि ये बाघ बेहोशी की दवा को लेकर काफी संवेदनशील था। पहले भी टं्रकोलाइज करने के दौरान मुश्किल से रिकवर हुआ था। इस बार तो वह झेल नहीं पाया।
जनवरी से जोन सात में था
स्टार मेल जनवरी 2018 से जोन नम्बर सात में अपनी दस्तक दे रहा था। उसने इस जोन के जामोदा इलाके में एक गाय का शिकार भी किया था। वहां का एरिया भी उसे रास नहीं आया। वह वहां से निकलकर मानसरोवर इलाके में आ गया। पिछले कुछ दिनों से वह वहां पर रह रहा था।
ऐसा था रणथम्भौर का स्टार मेल
सवाईमाधोपुर. रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान का बाघ टी-28 को स्टार मेल के नाम से जाना जाता है। वह खण्डार रेंज के गिलाई सागर क्षेत्र में विचरण करने वाली बाघिन टी-27 का बेटा था। उसका पिता संभवतया टी-2 को माना जाता है। ये बाघ शुरू से ही दबंग रहा। वह अपना साम्राज्य स्थापित करने के लिए जोन नम्बर तीन के राजबाग व मंडूप इलाके की ओर निकाला था। वह 2007 में वहां विचरण किया। किसी मेल टाइगर आसपास फटकने नहीं दिया। उसका ये राज 2016 तक चला। उम्रदराज हो जाने के कारण राजबाग में अब दूसरे युवा बाघों की घुसपैठ शुरू हो गई थी। उनके सामने इस उम्रदराज बाघ का टिक पाना मुश्किल था।
फरवरी 2017 में हुआ था संघर्ष
फरवरी 2017 में इस बाघ का संघर्ष टी-74 व टी-64 से हुआ था। टी 17 का बेटा 74 है। जबकि टी-19 का 64 है। इन युवा बाघों के दबाव के चलते आखिरकार पिछले साल स्टार मेल को अपना साम्राज्य छोडऩा पड़ा। वह वहां से निकलकर अमरेश्वर एवं फायरिंग बट इलाके में टरेट्री बनाकर रहने लगा, लेकिन यहां भी करीब छह-सात माह ही सुकुन से रह सका। वहां युवा टाइगर टी-95 आ धमका। उसने स्टार मेल को खदेड़ दिया।
'गेस्ट्रिक टॉर्जनÓ से हुई बाघ की मौत
सवाईमाधोपुर. बाघ टी-28 का पोस्टमार्टम देर शाम रणथम्भौर के गुढा इलाके में हुआ। पोस्टमार्टम के बाद पशु चिकित्सकों ने स्टार मेल की मौत की वजह 'गेस्ट्रिक टॉर्जनÓ नामक बीमारी बताई है। पोस्टमार्टम करने वाले पशु चिकित्सक डॉ. राजीव गर्ग का कहना है कि 'गेस्ट्रिक टॉर्जनÓ बीमारी को सामान्य भाषा में पेट में बल पडऩा मान सकते हैं। इसकी वजह से पेट में गैस भर जाती है और वह निकल नहीं पाती है। इसकी वजह से पेट फूल जाता है। बाघ के फीवियर पेन भी हो जाता है। इसकी वजह से उसकी मौत हुई है।
बेहोशी की ओवरडोज से मौत नहीं
गौरतलब है कि लोगों में अफवाह थी कि बाघ की मौत ट्रंकोलाइज के दौरान बेहोशी की ओवरडोज दवा देने से हुई है। लेकिन पशु चिकित्सक एवं वनाधिकारियों से इससे इनकार किया है। पशु चिकित्सक डॉ. राजीव गर्ग ने बताया कि बाघ टी-28 की मौत टं्रकोलाइज के दौरान दी जाने वाली बेहोशी की दवा से नहीं हुई है। इस बाघ को पहले भी ट्रंकोलाइज किया गया था। उसी टीम ने इस बार ट्रंकोलाइज किया है।
जमकर खाया था शिकार
पोस्टमार्टम के बाद चिकित्सकों ने बताया कि इस बाघ ने जंगल के बाहर ही कहीं शिकार किया था। उसने शिकार जमकर खा रखा था। खाने के बाद अक्कर टाइगर एक जगह बैठकर आराम करता है, लेकिन खाने के बाद इस बाघ ने दौड़ लगाई। दूसरी तरफ खेतों में घुसने के बाद तो लोगों ने उसका वहां जीना दुश्वार कर दिया।
Updated on:
21 Mar 2018 11:50 am
Published on:
21 Mar 2018 11:42 am
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