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सवाईमाधोपुर की स्थापना से पूर्व हुई थी गलता मंदिर की स्थापना

सवाईमाधोपुर स्थापना दिवस विशेष...रामानुज सम्प्रदाय का है मंदिर

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सवाईमाधोपुर की स्थापना से पूर्व हुई थी गलता मंदिर की स्थापना

सवाईमाधोपुर की स्थापना से पूर्व हुई थी गलता मंदिर की स्थापना

सवाईमाधोपुर.सवाईमाधोपुर जिले की स्थापना 19 जनवरी 1763 को जयपुर के महाराजा सवाईमाधो सिंह ने की थी। उन्ही के नाम पर जिले का नाम सवाईमाधोपुर पड़ा था। यह बात तो आम लोगों को पता है। लेकिन बहुत कम लोग यह जानते हैं कि सवाईमाधोपुर के कई धार्मिक स्थल जिले की स्थापना से भी पूर्व स्थापित हो चुके थे। इनमें में से एक है सवाईमाधोपुर शहर का गलता मंदिर। साहित्यकार प्रभाशंकर उपाध्याय ने बताया कि सवाईमाधोपुर का गलता मंदिर सवाईमाधोपुर शहर की स्थापना से भी पूर्व का है। यहां परिसर में लगे प्रस्तर लेख के अनुरूप रामानुज संप्रदाय के इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा गलता गद्दी जयपुर के आचार्य श्रियाचार्यजी महाराज के कर कमलों से हुई थी।
मंदिर के नीचे एक और मंदिर
मंदिर के पुजारी रमाकांत शर्मा और प्रवीणकुमार शर्मा की माने तो जैसा भवन दिख रहा हैए ठीक वैसा ही धरती के नीचे भी निर्मित है । किन्तु उसका मार्ग किसी को ज्ञात नहीं। मंदिर में एक ऐसी जगह है जहां से एक तहखाने में जाया जा सकता है। एक कमरे के फर्श के नीचे एक छोटा सा मोखा बना हुआ था। पुजारियों की माने तो जब मंदिर में दर्शनार्थियों की अधिक भीड़ हो जाती थी तो तप-साधना करने वाले साध,बाहरी संपर्क से बचने के लिए उसमें प्रवेश कर जाते थे।
सवा मन आटे का लगता था भोग
पुजारी रमाकांत के अनुसार पूर्व में इस मंदिर में कभी सवा मन आटे से बनी सामग्री का भोग लगा करता था। और उसके लिए अलग से पाकशाला थी। मंदिर की व्यवस्था के लिए बीघा जमीन रियासत की ओर से लगभग 220 बीघा जमीन दी गई थी।
दीवारों पर अंकित है रामायण के श्लोक
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मंदिर की परिक्रमा की दीवारों पर कुछ चित्राकृतियां बनी हुई हैं। ये यहां पूर्व में रहने वाले साधु.संतों ने लिखी हैं और संभवत: वे वाल्मीकी रामायण के श्लोक हैं। चित्राकृतियों को देखकर उनके किसी यंत्र होने का आभास होता है। उकेरे गए वर्णन को पढने के बाद यह प्रतीत होता है कि वे श्लोक न होकरए चौपाईयां हैं।