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पत्रिका के विश्वास की जीत, काला कानून वापस….

पत्रिका के विश्वास की जीत, काला कानून वापस....

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पत्रिका के विश्वास की जीत

पत्रिका के विश्वास की जीत

सवाईमाधोपुर. दागी लोकसेवकों को बचाने वाले काले कानून को सरकार द्वारा वापस लेने पर सोमवार को जिले भर में उत्सव सा माहौल रहा। लोग पत्रिका की भूरी-भूरी प्रशंसा करते दिखे। लोगों ने कहा कि राजस्थान पत्रिका व पाठकों के विश्वास की जीत हुई है। पत्रिका ने इस मुद्््दे 'जब तक काला तब, तक ताला के रूप में प्रमुखता से उठाया और जनहित में इसका पुरजोर विरोध किया। आखिरकार सरकार को कदम पीछे लेना पड़ा।


लोकतंत्र के साथ पत्रिका की जीत
मलारना डूंगर. राज्य सरकार की ओर से काला कानून वापस लेने पर कस्बे की जनता ने खुशी प्रकट करते हुए सोमवार को मिठाई बांट कर खुशी का इजहार किया। यहां अल्प संख्यक अधिकारी कर्मचारी महासंघ ने राजस्थान पत्रिका का आभार प्रकट किया। संघ के तहसील अध्यक्ष नासिर खान ने बताया कि यह लोकतंत्र के साथ राजस्थान पत्रिका की जीत है। इस दौरान संघ जुबेर चौधरी, डॉ अब्दुल जाहिर, फय्याज खान, शकील अहमद, खेलदार महासभा के जिलाध्यक्ष अशफाक खेलदार आदि भी मौजूद रहे। युवक कांग्रेस टोंक-सवाईमाधोपुर लोकसभा क्षेत्र के महासचिव अमजद खान के नेतृत्व में युवाओं ने भी खुुशी जताई।


छाण. बहरावण्डा खुर्द में श्री गोवर्धन छात्रावास के सामने काला कानून वापस लेने पर अतिशबाजी की गई। इस दौरान कपिल मीणा, गिर्राज गुर्जर, दशरथ मीणा, महावीर मीणा गोलू गुर्जर, कृष्णवतार जांगिड़, मानसिंह गुर्जर दिलखुश गुर्जर, रामरेश मीणा उपस्थित थे।


ये बोले लोग...
पत्रिका का प्रयास सराहनीय है। सरकार के काला कानून को वापस लेना पत्रिका के साथ पाठकों की जीत है। राजस्थान पत्रिका हमेशा से आमजन के हितों को लेकर अग्रणी रहा है। इसी का नजीता है कि सरकार को झुकना पड़ा।
घनश्याम योगी, अधिवक्ता सवाईमाधोपुर


पत्रिका ने लोकतंत्र के खिलाफ इस काले कानून को लेकर न केवल सरकार का विरोध किया, बल्कि चौथे स्तंभ की भूमिका भी निभाई, जो काबिले तारीफ है।
श्यामबिहारी, नागरिक, सवाईमाधोपुर


पत्रिका के प्रबल विरोध के चलते आखिर सरकार को काला कानून वापस लेना पड़ा। पत्रिका के विश्वास की जीत हुई है। अन्य मीडिया हाउस को इससे प्रेरणा लेनी चाहिए।
श्यामसुन्दर शर्मा, नागरिक समा


सरकार की ओर से जनता की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही थी। पत्रिका ने आमजन के हितों को देखते हुए काले कानून को लेकर लोगों को जागरूक किया।
विजय कचौलिया, दुकानदार, बजरिया


सरकार की ओर से काला कानून वापस लेना राजस्थान, राजस्थान पत्रिका व आमजन की सबसे बड़ी जीत है। पत्रिका पहल नहीं करती तो शायद कानून लागू भी हो जाता।
हरिराम बैरवा, लोरवाड़ा


सरकार के काला कानून को वापस लेना पत्रिका के साथ पाठकों के विश्वास की जीत है। राजस्थान पत्रिका ने पाठकों व प्रदेश की जनता के हित में काले कानून का विरोध किया।
मोहनलाल मीना, पुराना ट्रक यूनियन


राजस्थान पत्रिका ने अपनी लेखनी के माध्यम से सरकार को झुका दिया। इसी कारण सरकार को इस कानून को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।
वीरेन्द्र कुमार शर्मा, दुकानदार, सवाईमाधोपुर