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‘काव्य सरिता में रसिक श्रोताओं ने लगाई डुबकी’

कल्याणजी मेले में शनिवार को सजी काव्य निशा में देर रात तक कविता, गीत व गजल की रस धारा बही। कवियों ने हास्य, वीर व शृंगार रस की कविताएं प्रस्तुत कर श्रोताओं को दाद देने पर मजबूर कर दिया।

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ashish Sain

Jun 05, 2016

कल्याणजी मेले में शनिवार को सजी काव्य निशा में देर रात तक कविता, गीत व गजल की रस धारा बही। कवियों ने हास्य, वीर व शृंगार रस की कविताएं प्रस्तुत कर श्रोताओं को दाद देने पर मजबूर कर दिया। इस दौरान वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री राजकुमार रिणवा ने भी काव्य पाठ कर जमकर तालियां बटोरी।

काव्य समागम का आगाज दिल्ली की श्वेता सरगम ने बेटी पर आधारित मार्मिक रचना 'है पराया वो घर पर वो लगती नहीं, कोई बेटी पिता को खटकती नहींÓ सुनाई। मावली के मनोज गुर्जर ने 'जमी पर पांव ना हो, फिर बुलन्दी व्यर्थ है पानाÓ रचना प्रस्तुत की। शाहपुरा के डॉ. कैलाश मंडेला ने 'किरकिट में छोरियां नाची रे, फिक्सिंग की मुरलिया बाजी रेÓ पैरोडी सुनाई।

लखनऊ से आई व्याग्या मिश्रा ने शृंगार रस की चाशनी में भीगी 'रात का सफर है पर चांद हमसे जलता है, बादलों में छिप-छिप कर धीरे से निकलता है।Ó दिल्ली के अशोक हंगामा ने 'बोल रे मिठ्ठू गंगाराम क्या होगा अपना अंजाम, सड़कों से संसद तक रावण घूम रहे हैं बनकर रामÓ की प्रस्तुति दी। स्थानीय कवि शिव चतुर्वेदी अंगारा ने वीर रस में 'जिनके हाथ सने खूं से वो कुर्बानी क्या देंगे, जिनकी झोली भरती नोटों से वो भारत को नई जवानी क्या देंगे।

जयपुर के ओजस्वी गीतकार अशोक चारण ने 'भले दिसम्बर गर्म बने पर जून ठंडा होगा, हिमखंडों में खड़े रहे पर खून नहीं ठंडा होगाÓ रचना सुनाई। स्थानीय कवि सतीश कुलचणिया ने 'मन वचन से जो भारत माता की सेवा कर सकते हैं, हम उनके चरणों में अपना मष्तक भी धर सकते हैंÓ की प्रस्तुति दी। इधर, जयपुर के हास्य कवि संजय झाला ने 'कभी सलमान की बॉडी, कभी धोनी के बालों के लिए मर गए, कभी चेहरे कभी चालो कभी गालों के लिए मर गएÓ की शानदार प्रस्तुति दी।

कवि सम्मेलन में अतिथि सांसद सुखवीरसिंह जौनपुरिया व विधायक मानसिंह गुर्जर, मेला अध्यक्ष करणसिंह गुर्जर, मेला संरक्षक हरिप्रसाद बोहरा, आयुक्त सौरभ जिन्दल, सतीश कुलचणिया, हरगोविन्द कटारिया, ओमी कटारिया, वीरू पुजारी, कौशल बोहरा, शैलेन्द्र मीणा, वेद सोनवाल, गिरधारी सोनी, महेन्द्र दीक्षित, सुरेन्द्र विजयवर्गीय आदि मौजूद थे। संचालन धार के हास्य कवि संदीप शर्मा ने किया।


खचाखच भरा रहा मैदान
कवि सम्मेलन के दौरान कल्याणजी मेला परिसर मैदान खचाखच भरा रहा। एक से बढ़कर एक कविताओं का श्रोताओं ने जमकर लुत्फ उठाया। इधर, पुलिसकर्मी मुस्तैद रहे। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए देर रात तक जुटे रहे।