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एक तरफ चंबल, दूजी ओर बनास…फिर भी नहीं बुझ पा रही प्यास

Rajasthan Assembly Election 2023: एक ओर ऐतिहासिक चंबल और दूसरी ओर बनास... लेकिन प्राकृ तिक रूप से पानी से भरपूर सवाईमाधोपुर पीने योग्य पानी की समस्या से जूझ रहा है।

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पंकज चतुर्वेदी
सवाईमाधोपुर.Rajasthan Assembly Election 2023: एक ओर ऐतिहासिक चंबल और दूसरी ओर बनास... लेकिन प्राकृतिक रूप से पानी से भरपूर सवाईमाधोपुर पीने योग्य पानी की समस्या से जूझ रहा है। जिला मुख्यालय से रणथंभौर अभयारण्य के बीच हरे-भरे जंगल और पहाड़ों से होकर तकरीबन 50 किलोमीटर चले तो पालीघाट आया। खंडार विधानसभा क्षेत्र का यह अंतिम छोर है, जो मध्यप्रदेश से लगता है। चंबल का चौड़ा पाट ही सीमा विभाजन करता है। सरकार ने कुछ वर्ष पूर्व यहां घडिय़ाल सेंचुरी में बोटिंग शुरू की तो इस उपेक्षित इलाके में रोजगार का पहिया कुछ घूमा। सेंचुरी में बोट चालक गिर्राज गुर्जर बताते हैं कि आस-पास के करीब 50 परिवारों की आजीविका अब इस सेंचुरी पर निर्भर है। वो खुद भी पहले निजी स्कूल में शिक्षक थे, लेकिन अब पर्यटकों को बोटिंग कराते हैं। इसमें कमाई ज्यादा है।

पहाड़ की तलहटी में बसे खंडार के तहसील कार्यालय में किसान गोपाल जाट और युवा हिमांशु तुर्तिया पानी और रोजगार के मुद्दों पर मुखर दिखे। बोले, 2008 में सरकार ने चंबल परियोजना मंजूर तो कर दी, लेकिन कस्बे में पानी अब तक नहीं आया। अभी फ्लोराइड की समस्या इतनी विकराल है कि कितना ही ब्रांडेड आरओ लगवा लो, तीन महीने से ज्यादा नहीं चलता। इलाके में रणथंभौर अभयारण्य का गिलाइ सागर गेट खुलवाना भी स्थानीय अर्थव्यवस्था और रोजगार से जुड़ा बड़ा मुद्दा है। लोगों का मानना है कि यह गेट खोल दें तो टाइगर सेंचुरी, पालीघाट सेंचुरी और खंडार किले का पूरा पर्यटन सर्किट इलाके में इकोनॉमी की धुरी बन जाएगा।
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शहर सवाईमाधोपुर में पानी के अलावा मुद्दा औद्योगिकीकरण का भी है। पेशे से अधिवक्ता हरिप्रसाद योगी का कहना था कि रणथंभौर अभयारण्य क्षेत्र परिधि के इको सेंसेटिव जोन में उद्योग नहीं लग सकते। विश्वविख्यात अमरूद और मिर्च उगाने के बावजूद हमारे यहां इनकी प्रोसेसिंग यूनिट नहीं है। सरकार को ग्रीन इंडस्ट्री विकसित करनी चाहिए, ताकि पर्यावरण बचा रहे, आर्थिक गतिविधियां बढ़ें और बेरोजगारी से भी निजात मिले। व्यापारी बनवारी बंसल भी इसकी हिमायत करते दिखे। राज्य सरकार की योजनाओं पर बातचीत में दोनों ने मुफ्त इलाज को आम आदमी के लिए बड़ा संबल बताया। शहर में रक्तदान वॉलंटियर्स की सोसायटी चला रहे सामाजिक कार्यकर्ता अवधेश शर्मा सरकारी अस्पताल में एसडीपी मशीन की कमी पर आपत्ति जताते दिखे।
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पानी की कमी का जीवंत नमूना सवाईमाधोपुर के गांव मई खुर्द में दिखा। पानी की एक टंकी में बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे इक_े थे। रुक कर पूछा तो पता चला कि गांव में यही पानी की टंकी है। पीछे ही आधा अधूरा सरकारी ओवरहैड टैंक दिखा। पूछने पर गांव के बुजुर्ग मोतीलाल ने बताया कि तीन-चार माह से इसका काम ही चल रहा है, पर पूरा नहीं हुआ।

इलाके में स्टेट और नेशनल हाईवेज तैयार तैयार का नेटवर्क बीते वर्षों में मजबूत हुआ है। सवाईमाधोपुर से खंडार तक तो सडक़ बेहद सुंदर है। वाया करणपुर डांग से होते हुए पहले करौली जाने में करीब 160 किलोमीटर दुर्गम रास्ता था, अब नया मार्ग निर्माणाधीन है, जिससे यह दूरी महज 80 किलोमीटर ही रह जाएगी। अधिवक्ता योगी ने कहा कि पहले सवाईमाधोपुर से खंडार जाना सजा जैसा होता था, अब ऐसा नहीं है। इसके अलावा जिला मुख्यालय से लालसोट, गंगापुर हाईवेज तैयार है, जबकि दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे के एंट्री-एक्जिट पॉइंट भी दिए गए हैं।

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