scriptकैलादेवी में तीन दशक बाद गूंजी शावकों की किलकारी,टी 92 के साथ दो शावक | Three decades later in Kailadevi, the killers of Gangui Sawak, two boy | Patrika News
सवाई माधोपुर

कैलादेवी में तीन दशक बाद गूंजी शावकों की किलकारी,टी 92 के साथ दो शावक

कैलादेवी में तीन दशक बाद गूंजी शावकों की किलकारी,टी 92 के साथ दो शावक

सवाई माधोपुरApr 15, 2018 / 10:18 am

 बाघिन टी-92 एवं उसके दो शावक।

रणथम्भौर के कैलादेवी अभयारण्य में शनिवार को कैमरे में कैद हुए बाघिन टी-92 एवं उसके दो शावक।

सवाईमाधोपुर . रणथम्भौर का हिस्सा बने कैलादेवी अभयारण्य के मंडरायल क्षेत्र में तीन दशक बाद बाघों के शावकों की किलकारियां गंूजी है। दो नन्हे शावकों की चहलकदमी से कैलादेवी में बाघों का कुनबा बढऩे से स्थानीय लोगों व वन विभाग में भी खुशी का माहौल है। जानकारी के अनुसार यह शावक करीब साढ़े तीन माह के है, जो इन दिनों बाघिन के साथ दिखाई दे रहे हैं। वन विभाग ने सुरक्षा बढ़ाई है।

शावकों का परिवार
करीब साढ़े तीन माह के यह शावक बाघिन टी 92 व बाघ टी 72 सुल्तान के हैं। बाघ सुल्तान करीब दो साल से कैलादेवी अभयारण्य में टेरेटरी बना चुका है। इसके बाद बाघिन टी 92 वहां पहुंची थी। शावकों का पिता माना जा रहा बाघ सुल्तान कुछ सालों पहले उदयपुर बॉयोलॉजिकल पार्क में शिफ्ट किए बाघ टी 24 उस्ताद का बेटा है। उस समय बाघ टी 24 ने सुल्तान को अपनी टेरेटरी से बेदखल कर दिया था। इसके बाद से ही बाघ नई टेरेटरी की तलाश में था, जो बाद में कैलादेवी अभयारण्य पहुंच गया।

जंगल में बढ़ी सुरक्षा तो अब हुए पांच बाघ-बाघिन
पिछले ढाई साल में कैलादेवी अभयारण्य क्षेत्र में सीसीएफ वाइके साहू के निर्देशन में सुरक्षा बढ़ाई गई है। स्टेटवाइल्ड लाइफ बोर्ड के सदस्य धर्मेन्द्र खांडल का कहना है कि विलेज वाइल्ड लाइफ वॉचर की जंगल की सुरक्षा में अहम भूमिका रही है। फोटो ट्रेप कैमरा से भी वन विभाग की ट्रेकिंग मजबूत हुई है। इसी का परिणाम है कि वहां पांच बाघ हो गए। इनमें बाघिन टी-92 व उसके दो नए शावक, बाघ टी-72 व टी-80 शामिल हैं। कुछ और बाघ भी हैं, जिनका मूवमेंट कैलादेवी में होता-रहता है।

कैलादेवी हुआ आबाद
कैलादेवी अभयारण्य के मण्डरायल वन क्षेत्र में विभाग के वॉलियन्टर को बाघिन व शावक नजर आए हैं। शावक करीब साढ़े तीन माह के हैं। उनकी नियमित ट्रेकिंग की जा रही है। कैलादेवी अभयारण्य में शावक होना खुशी की बात है। यहां भी अब बाघों का कुनबा बढऩे लगा है।
वाईके साहू, मुख्य वन संरक्षक, रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान, सवाईमाधोपुर

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