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अध्ययन: सौर मंडल के अस्तित्व के रहस्य को लेकर उठा पर्दा!

आखिकार सौर मंडल की उत्त्पत्ति आखिर हुई कैसे

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नई दिल्ली। सौर मंडल में टिम-टिम करते तारे अनेक हैं लेकिन क्या आपको पाता है कि हमारा ये सौर मंडल आखिर बना कैसे? नहीं ना लिकिन अब इस सवाल का जवाब मिलता दिख रहा है जैसा की आप जानते हैं दुनिया भर के वैज्ञानिक रोज़ कुछ ना कुछ नए शोध लेकर आते हैं जो तथ्यों से भरे होते हैं। आप सब के मन में यह सवाल तो कभी ना कभी उठा ही होगा की आखिकार सौर मंडल की उत्त्पत्ति आखिर हुई कैसे? और अभी तक यह रहस्य भी बना हुआ था कि हमारे सौर मंडल का जन्म कैसे हुआ। वैज्ञानिकों के एक नए शोध में पता चला है कि एक विशालकाय लंबे समय से मृत पड़े तारे के आसपास हवा के बुलबुले बनने से हमारा सौर मंडल बना।

वैसे आमतौर पर यह कहा जाता है कि एक सुपरनोवा के पास ही अरबों साल पहले हमारा सौर मंडल जन्मा। आपको बता दें खगोलशास्त्र में सुपरनोवा का मतलब है कि किसी तारे में भयंकर विस्फोट होना। इस नए अध्ययन के अनुसार सौरमंडल का जन्म वॉल्फ रायेट स्टार नाम के एक विशालकाय तारे से शुरू हुआ और जो सूर्य के आकार से 40 से 50 गुना बड़ा भी है। जैसे ही वॉल्फ रायेट तारे का आकार फैलता है तो इसके चारों ओर से गुजरने वाली तारकीय हवा एक घने खोल के साथ बुलबुले बनाती है।

अमेरिकी शिकागो विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर निकोलस डॉफास बताते हैं कि ऐसे बुलबुले का खोल तारों की उत्त्पत्ति के लिए बेहतर जगह है और ऐसे ही वातावरण में तारे जन्म लेते हैं। वो इसलिए क्योंकि धूल और गैस इसके अंदर फंस जाते हैं जहां वे तारों में तब्दील हो सकते हैं। एस्ट्रोफिजिकल मैगजीन में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक ऐसी क्रिया से लगभग सूरज के जैसे एक से 16 फीसदी तारे बन सकते हैं। ये भी जान लें अंतरिक्ष की बाहरी कक्षा में धूल और गैस के बादल को तारकीय नर्सरी कहते हैं, जहां धूल और गैस के मिले पर तारे जन्म लेते हैं और अस्तिव में आते हैं।