
इनके कमाल के आइडिया से बदल जाएगा उपग्रहों का डिज़ाइन और आकार,इनके कमाल के आइडिया से बदल जाएगा उपग्रहों का डिज़ाइन और आकार,इनके कमाल के आइडिया से बदल जाएगा उपग्रहों का डिज़ाइन और आकार
साल 1957 में सोवियत रूस ने दुनिया का पहला उपग्रह 'स्पुतनिक' अंतरिक्ष में भेजा था। लेकिन बीते 64 सालों से सैटेलाइट के रंग-रूप में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। हालांकि, फिनलैंड के जारी माकिने ने अपने एक आइडिया से छह दशकों से चली आ रही इस परंपरा को बदल दिया है। इस साल के आखिर में उनका बनाया दुनिया का पहला 'लकड़ी से बना' सैटेलाइट अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरेगा। इससे सैटेलाइट निर्माण पर आने वाली भारी-भरकम लागत को न केवल कम किया जा सकेगा, बल्कि भविष्य में स्पेस मिशन की लागत को भी कम करने में मदद मिलेगी। जारी ने फर्नीचर बनाने में इस्तेमाल होने वाली बर्च प्लाईवुड से एक बॉक्सनुमा 10 सेमी का सैटेलाइट 'वुडसैट' बनाया है। यह यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के सेंसर से लेस होगा।
सवाल के जवाब में मिला आइडिया
मिशन की अगुवाई कर रहे यारी मकिनेन इस आइडिया के जनक हैं। पेशे से लेखक और प्रसारक मकिनेन की आर्कटिक एस्ट्रोनॉटिक्स कंपनी ने ही वुडसैट को डिजाइन किया है। यह कंपनी शिक्षा, प्रशिक्षण और शौक के उद्देश्यों के लिए कक्षा-तैयार क्यूबसैट की पूरी तरह कार्यात्मक प्रतिकृतियों की मार्केटिंग का काम करती है। मकिनेन का कहना है कि वे विमान की इन प्रतिकृतियों को हमेशा लकडिय़ों से ही बनाते हैं। अंतरिक्ष शिक्षा के क्षेत्र में काम करने लंबे अनुभव के बाद उन्हें विचार आया कि क्यों न ऐसे सैटेलाइट बनाए जाएं जो लकड़ी से ही बने हों और पूरी तरह से काम भी करते हों। उन्हें हैरानी थी कि इससे पहले कभी किसी वैज्ञानिक या स्पेस एजेंसी ने लकड़ी का कोई सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजने पर विचार क्यों नहीं किया। यह सस्ता, प्रदूषण रहित और लागत में काफी कम खर्चीला पड़ता।
ऐसे हुई इस आइडिया की शुरुआत
मकिनेन का कहना है कि 2017 में सबसे पहले उनका विचार लकड़ी के एक उपग्रह को अंतरिक्ष में समताप मंडल तक उड़ाने का था। उन्होंने किटसैट नाम के लकड़ी से बने इस मौसमी उपग्रह को एक एयर बैलून से जोड़कर उड़ाया। यह परीक्षण कामयाब रहा। इसके बाद मकिनेन ने किटसैट को अपग्रेड कर पृथ्वी की बाहरी कक्षा यानी अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी शुरू कर दी। इस परियोजना को यूरोपियन स्पेसएजेंसी से आर्थिक सहायता मिली। साथ ही न्यूजीलैंड में रॉकेट लैब से इलेक्ट्रॉन लॉन्चर पर एक बर्थ सुरक्षित कर लिया गया।छुटकू सैटेलाइट की यह विशेषताएं
'बर्च' लकड़ी से बने हैं पैनल
लकड़ी से बने क्यूबसैट सैटेलाइट की चारों सतह लगभग 10 सेमी (4 इंच) की है। लेकिन इतने छोटे बॉक्सनुमा नैनो सैटेलाइट की खासियत इसके 'बर्च' लकड़ी से बने पैनल हैं। यह किसी भी हार्डवेयर में मिलने वाली आम फर्नीचर लकड़ी है जो बहुत टिकाऊ और मजबूत होती है। इस नैनोसैटेलाइट का वजन सिर्फ एक किलोग्राम है और इसका आकार 4'4'4 इंच है। वुडसैट में दो कैमरे हैं जिनका उपयोग वैज्ञानिक अंतरिक्ष में उपग्रह की प्लाईवुड की सतह में होने वाले परिवर्तनों का निरीक्षण करने के लिए करेंगे।
लकड़ी के पैनल्स को एल्युमिनियम ऑक्साइड सामग्री से कवर किया गया है ताकि उपग्रह से निकलने वाली परमाणु ऑक्सीजन अंतरिक्ष में न फैले। वुडसैट को अअंततरिक्ष की नमी से बचाए रखने के लिए एक वैक्यूम चैम्बर भी बनाया गया है। इसमें लगी सेल्फी स्टिक की मदद से लकड़ी से बना यह उपग्रह हर 30 सेकंड में तस्वीरें लेता है। अपनी परीक्षण उड़ान में वुडसैट ने समतापमंडल तक 2 घंटे 54 मिनट की उड़ान भरी। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी भी उड़ान पूर्व परीक्षण में मदद करके मिशन का समर्थन कर रही है। डेनमार्क की कंपनी सेंस 4 के बनाए एक प्रेशर सेंसर भी लगाए गए हैं।
वुडसैट के बारे में खास-खास
-साल 2021 के आखिर में लॉन्च किए जाने की उम्मीद है लकड़ी के सैटेलाइट को
-यह परीक्षण अंतरिक्ष में लकड़ी के उपयोग को जांचने के लिए किया जा रहा है
-यूरोपियन स्पेस एजेंसी इसे बनाने वाली कंपनी की प्री-फ्लाइट टेस्टिंग और सेंसर देकर मदद कर रही है
-यह एक क्यूबसैट है जिसे आमतौर पर विश्वविद्यालय और गैर-लाभकारी संगठन शोधकार्य के लिए उपयोग करते हैं
-परीक्षण सफल रहा तो भविष्य में स्पेस शिप और स्पेस स्टेशन बनाने में लकड़ियों का इस्तेमाल भी किया जाएगा, इससे अंतरिक्ष में कचरा फैलने पर भी रोक लग सकेगी
-बर्च लकड़ियों को निर्वात (वैक्यूम) में हीट ट्रीट किया गया है ताकि ये पूरी तरह से शुष्क और ज्यादा टिकाऊ बन सकें। साथ ही एल्यूमिनियम ऑक्साइड और ऑक्सीजन का मिश्रण भी इन पर किया गया है ताकि ये अंतरिक्ष की कठिन परिस्थितियों को झेल सके
छुटकू सैटेलाइट की यह विशेषताएं
-01 किलोग्राम है इस नैनो सैटेलाइट का वजन
-02 दो कैमरे हैं इसमें जिनकी मदद से इस पर नजर रखी जाएगी
-03 घंटे के करीब उड़ान भरी थी पहली टेस्ट फ्लाइट में
-10 सेमी (4 इंच) का है क्यूबसैट का आकार
-30 सेकंड में तस्वीरें लेता है इसमें लगी सेल्फी स्टिक की मदद से
-31 किमी की ऊंचाई तक उड़ा था यह सैटेलाइट हालिया परीक्षण में
-500 से 600 किमी ऊंचाई तक उड़ान भरेगा, पहले मिशन में वुडसैट
-2017 में मौसम की जानकारी जुटाने वाले गुब्बारे संग उड़ा था
Published on:
20 Jul 2021 02:28 pm
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