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खगोलविदों ने खोजा ‘सुपर बृहस्पति’, हाइड्रोजन से भरपूर

शोधकर्ताओं की टीम में आइआइटी कानपुर के डॉ. प्रशांत पाठक शामिल

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वॉशिंगटन. खगोलविदों की अंतरराष्ट्रीय टीम ने जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (जेडब्ल्यूएसटी) की मदद से सूर्य के आकार का एक्सोप्लैनेट खोजा है। यह ‘सुपर बृहस्पति’ जैसा है। इसकी कक्षा भी सुपर है। इसका व्यास बृहस्पति के बराबर है, लेकिन द्रव्यमान बृहस्पति से छह गुना ज्यादा है। इसका वायुमंडल बृहस्पति की तरह हाइड्रोजन से भरपूर है। इसे अपने तारे की एक परिक्रमा पूरी करने में 250 साल से ज्यादा समय लगता है।स्पेस डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक टीम का शोध नेचर जर्नल में छपा है। टीम में भारतीय वैज्ञानिक डॉ. प्रशांत पाठक शामिल हैं। वह आइआइटी कानपुर में प्रोफेसर हैं। एक्सोप्लैनेट का नाम ‘ईपीएस आइएनडी एबी’ नाम रखा है। यह पहला एक्सोप्लैनेट है, जिसकी फोटो सीधे जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने ली। अब तक पृथ्वी पर मौजूद किसी टेलीस्कोप से इसका फोटो नहीं लिया गया था। नया ग्रह जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप से देखे गए किसी भी गैसीय ग्रह के मुकाबले ज्यादा ठंडा है।

नारंगी बौने तारे के काटता है चक्कर

खोजा गया एक्सोप्लैनेट अपने तारे से पृथ्वी की सूर्य से दूरी के मुकाबसे 15 गुना ज्यादा दूर है। यह नारंगी बौने तारे ‘एप्सिलॉन इंडी ए’ की परिक्रमा कर रहा है। शोध के मुताबिक यह इस सिस्टम का एकमात्र ग्रह हो सकता है। ‘एप्सिलॉन इंडी ए’ पृथ्वी से 11.7 प्रकाश वर्ष दूर है। यह करीब 3.5 अरब साल पुराना है। इसका ग्रह करीब 15 एयू (एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट) की दूरी पर परिक्रमा करता प्रतीत होता है।

मिड-इंफ्रारेड इंस्ट्रूमेंट से ली तस्वीर

वैज्ञानिकों ने जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप पर लगे मिड-इंफ्रारेड इंस्ट्रूमेंट (एमआइआरआइ) की मदद से इस ग्रह का फोटो लिया। एमआइआरआइ में कोरोनाग्राफ नाम का मास्क लगा है, जो तारों से आने वाली रोशनी को ब्लॉक कर सकता है। इससे टेलीस्कोप के पास मौजूद पिंडों का अध्ययन किया जा सकता है।