चीन ने यूजर्स को बेहतर संचार सेवा देने के लिए यह परियोजना शुरू की है। शंघाई की कंपनी स्पेससेल की 2025 तक 648 सैटेलाइट लॉन्च करने की योजना है। ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक चीन 2030 तक 15 हजार सैटेलाइट के जरिए वैश्विक नेटवर्क पर अपना आधिपत्य चाहता है। दूसरी ओर स्पेसएक्स के स्टारलिंक के पास फिलहाल 6 हजार से ज्यादा सैटेलाइट हैं और 100 देशों में तीस लाख से ज्यादा ग्राहक हैं।
इसलिए खतरा नहीं
यह मलबा ऐसी ऊंचाई पर है, जहां वायुमंडलीय खिंचाव बहुत कम होता है। ऐसे में अंतरिक्ष मलबा कक्षा में दशकों तक रह सकता है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार अंतरिक्ष में 10 सेमी से बड़े 40,500 ऑब्जेक्ट तथा एक सेमी तक के 130 मिलियन वस्तुएं अंतरिक्ष में मलबे के रूप में तैर रही हैं।
‘पॉइंट नीमो’ में सैटेलाइट का मलबा (स्पेस जंक) रखा जाता है। ये इंसानी बस्तियों काफी दूर है। नीमो लैटिन भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘जहां कोई नहीं रहता। ये जगह दक्षिण अमरीका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच एक बड़ा हिस्सा है। यहां से कोई भी द्वीप 2688 किमी से ज्यादा दूर हैं। फिलहाल यहां सौ से ज्यादा सैटेलाइट्स का मलबा रखा गया है।