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बढ़ता रहा ध्वनि प्रदूषण तो डायनासोर की तरह पक्षी भी हो जाएंगे लुप्त: शोध

Noise Pollution: पक्षियों के आपसी कम्युनिकेशन पर पड़ रहा ध्वनि प्रदूषण का प्रतिकूल असर तरह-तरह की आवाजें निकालना भी हो रहा है प्रभावित

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नई दिल्ली। आए दिन बढ़ रहे बाकी प्रदूषणों की तरह ही ध्वनि प्रदूषण sound pollution भी हमारे पर्यावरणEnvironment को नुकसान पहुंच रही है। यह ध्वनि प्रदूषण आज के दौर की एक बहुत बड़ी समस्या बन गई है। ध्वनि प्रदूषण के बढ़ने से इंसानों पर तो इसका असर पड़ ही रहा है इसके साथ साथ पक्षी भी इससे प्रभावित हो रहे हैं। जिनमें गली में रोज कार के हॉर्न का शोर, शोर मचाते बच्चे, एक-दूसरे पर चिल्लाते लोग आदि ध्वनि प्रदूषण pollution में शामिल है। क्या कभी आपने सोचा है कि जिस तरह से कभी कभी हम परेशान होकर शांत माहौल की ओर भागते हैं तो पक्षियों और जानवरों पर इसका क्या प्रवाभ पड़ रहा होगा?

क्वीन्स यूनिवर्सिटीuniversity बेलफास्ट ने अपने नए शोध में दावा किया है कि ध्वनि प्रदूषण का पक्षियों पर बुरा असर हो रहा है। रिसर्च के अनुसार, इंसानों की तरफ से किया जाने वाला ध्वनि प्रदूषण का खुद उन पर ही नहीं बल्कि पक्षियों birds पर हो रहा है। इसका प्रतिकूल असर एक-दूसरे से संपर्क करने, भोजन का इंतजाम करने और मेटिंग meting तक पर पड़ रहा है।

रिसर्च टीम के अनुसार- "पक्षी जहां तक देख सकते हैं, ध्वनि को उससे भी अगे तक सुन सकते हैं। पक्षियों का गाना ही एक तरह से उनके अधिकार क्षेत्र को बताता है। अपने अधिकार क्षेत्र या अपने इलाके को बताने के लिए पक्षी एक सुर में आवाज का प्रयोग करते हैं। एक बहुत मजबूत आवाज पक्षियों का सिर्फ अधिकार क्षेत्र ही नहीं बताती, मेटिंग के लिए भी वह खास किस्म की ऊर्जा से भरपूर आवाज ही निकालते हैं।'

खबरों के मुताबिक अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले वक्त में पक्षियों की संख्या पर इंसानी शोर का बहुत बुरा असर पड़ेगा। पक्षियों के गीत गाने और आवाजें निकालने में भी कमी आने लगेगी। इससे पक्षियों की एक बहुत बड़ी प्रजाति लुप्त हो सकती है। ऐसा न हो, इसके लिए ध्वनि नियंत्रण पर जोर दिया जाए।