
लीथियम बैट्रीज का कचरा वर्ष 2030 तक 20 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच जाएगा
इलेक्ट्रिक वाहनों के आगमन के साथ ही बैट्रीज से होने वाला कचरा भी तेजी से बढ़ रहा है। इससे जुड़ी इंडस्ट्री के विश्लेषकों का मानना है कि 2020 तक अकेले चीन ने ही 5 लाख मीट्रिक टन लीथियम-आयन युक्त बैट्रीज का उत्पादन किया है। वहीं वैश्विक स्तर पर 2030 तक यह बढ़कर 20 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच जाएगा। वहीं रिसाइक्लिंग में भी दुनिया पीछे है। ऑस्ट्रेलिया में केवल 2 से 3 फीसदी लीथियम-आयन युक्त बैट्रीज को रिसाइकिल किया जाता है। ऐसे ही अमरीका और यूरोपियन देशों में भी बैट्री रिसाइकिल की दर 5 फीसदी से कम है।
आंकड़ों में लीथियम-आयन बैट्रीज
-14 करोड़ इलेक्ट्रिक वाहन सड़कों पर होंगे दुनिया में 2030 तक
-11 करोड़ से ज्यादा लीथियम-आयन युक्त बैट्रीज 2030 तक अपनी कार्यक्षमता के आखिरी पायदान पर होंगी
-30 से 40 फीसदी होता है लीथियम-आयन युक्त बैट्रीज में कैथोड का वजन
-05 फीसदी लीथियम-आयन युक्त बैट्रीज ही रिसाइकिल हो पा रही हें अभी दुनियाभर में
-70 अरब डॉलर की होगी लीथियम-आयन युक्त बैट्री इंडस्ट्री 2022 तक
(स्रोत: International Energy Agency, US Department of Energy.)
ऐसे करें बैटरी का निस्तारण
अनुपयोगी बैटरी, एलईडी बल्ब, एथलीट शूज, चश्मे और पुराने बबल रैप, पैनेडेमिक किट जैसी वस्तुओं का निस्तारण करना पर्यावरण के लिए बहुत जरूरी है। बैटरियां विषाक्त पदार्थों से बनी होती हैं और इन्हें घरेलू कचरे के साथ नहीं फेंकना चाहिए। आइए जानते हैं इनका निपटान कैसे करें।
पुरानी लिथियम बैटरी- अक्सर रिचार्जेबल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, जैसे सेलफोन, श्रवण यंत्र जैसे रेडियो और घडिय़ों में इस्तेमाल हाने वाली इन बैटरी को टेप के दो टुकड़ों के बीच रखें। ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनमें आग न लगे। ऐसे ही 12 वोल्ट से अधिक पॉवर की बैटरियों को भी टेप किया जाना चाहिए। एएए, एए, सी और डी बैटरियां गैर-विषैली होती हैं। इसलिए इन्हें सामान्य कचरे के साथ फेंक सकते हैं। कुछ बड़े शहरों में ई-वेस्ट का निस्तारण करने वाले संगठन और कंपनियां अपने स्टोर पर इन बैटरीज को रिसाइकिल करने के लिए लेते हैं। एक अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संस्था Call2Recycle बैटरियों का निपटान करता है। आप इसकी वेबसाइट call2recycle.org भी देख सकते हैं।
सीएफएल बल्ब भी
अनुपयोगी हलोजन लाइट बल्ब के अंदर के तार उन्हें मानक ग्लास रीसाइक्लिंग के लिए अनुपयुक्त बनाते हैं। विशेषज्ञों का सुझाव है कि सामान्य और हलोजन दोनों बल्बों को अखबार में लपेट देना चाहिए खासकर अगर वे टूट गए हैं। हालांकि, एल ई डी बल्ब को खतरनाक अपशिष्ट नहीं माना जाता है और तकनीकी रूप से आप इसे कूड़ेदान में फेंक सकते हैं। लेकिन क्योंकि उनमें मूल्यवान धातु होते हैं, इसलिए उन्हें रीसायकल करना ही बेहतर होता है। कॉम्पैक्ट फ्लोरोसेंट लाइटबल्ब (सीएफएल) में पारा होता है, इसलिए इसे कूड़ेददान में नहीं डालना चाहिए। आप अपने घर के पुराने अनुपयोगी एलईडी या सीएफएल अथवा हलोजन बल्ब को earth911.com की वेबसाइट पर वैकल्पिक निपटान स्थलों का पता लगाने में मदद कर सकती है।
Published on:
20 Jul 2021 01:42 pm
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