आज भी धरती पर ही भटक रहे हैं अश्वत्थामा! इस किले में छुपा है ये बड़ा रहस्य
इस गुफा के अंदर जाने के लिए बेतरतीब प्रवेश द्वार है, लेकिन ये किसी भूलभुलैया से कम नहीं हैं। इस गुफा में कोई अगर एक बार अंदर घुस जाए तो बाहर निकलना मुश्किल हो जाएगा। इस गुफा की लंबाई 24.5 किलोमीटर है और मासिनराम की वादियों में 13 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है। अन्य मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस गुफा के अंदर आपस में जुड़े सैकड़ों छोटे लंबे गलियारों का पेचीदा चक्रव्यूह है। इसकी आकृति बिल्कुल अलग है, जो इसे वास्तव में एक भूलभुलैया बनाती है। यहां जीव, मेंढक, मछली , विशाल हंटर मकड़ियां और चमगादड़ भी मौजदू हैं।
गुफा के तापमान में बाहर के तापमान का कोई असर नहीं होता। ऐसे में इस गुफा का तापमान हमेशा ही 16 से 17 डिग्री के बीच रहता है। गुफा के अंदर छोटी दरारों और दो प्रवेशद्वारों के चलते अंदर हवा आती रहती है, जिसके चलते ऑक्सीजन की यहां कोई कमी नहीं होती। वैज्ञानिकों की जिस टीम ने इस गुफा को खोज निकाला, उसमें जलविज्ञानी, पुरात्तवविद, भूविज्ञानी और जीवविज्ञानी शामिल थे। इस टीम को यहां से शार्क के दांत और समुद्री डायनासोर की कुछ हड्डियां भी मिली थीं। बताया जाता है कि ये लगभग 6 करोड़ साल पहले समुद्र में पाए जाते थे।