
नई दिल्ली। आपको बता दें चीनी स्पेस लैब Tiangon-1 जिसे साल 2011 में लॉन्च किया गया था। आपकी जाकारी के लिए बता दें इस साल उसकी मार्च में पृथ्वी से टकराकर क्रैश लैंडिंग का पूरा अंदेशा जताया जा रहा है। एक अंग्रेजी समाचार चैनल में छपी खबर के अनुसार अब इस लैब पर चीनी वैज्ञानिकों का कोई नियंत्रण नहीं रह गया है हालांकि अभी ये नहीं बताया जा सकता कि यह क्रैश लैंडिंग कहां होगी? चीन ने बीते दिन बताया कि उसकी पहली मानवरहित स्पेस लैब अंतरिक्ष प्रयोगशाला टीयांगोंग-1 नियंत्रित स्थिति में धरती से टकराएगी।
इस टक्कर से पृथ्वी को कोई नुकसान नहीं होगा। अभी तो बस यही अनुमान लगाया जा रहा है कि वो आने वाले कुछ महीनों में पृथ्वी से टकरा सकती है। चीन की एकेडमी ऑफ स्पेस टेक्नोलॉजी के वरिष्ठ वैज्ञानिक झू जोंगपेंग ने बताया कि, 'वापस आती अंतरिक्ष प्रयोगशाला पर हमारी पैनी नजर है। धरती की कक्षा में प्रवेश करते ही इसका अधिकतर हिस्सा जल जाएगा। बाकी बचे इसके टुकड़े प्रशांत महासागर में गिरेंगे।'
हाल में पश्चिमी देशों के मीडिया में ऐसी खबरें आई थीं कि चीन ने अपनी स्पेस लैब पर नियंत्रण खो दिया है। जल्द ही वह पृथ्वी से टकराएगी और उससे निकलने वाला जहरीला रसायन कई देशों में लोगों को कैंसर का मरीज बना सकता है। चीन ने 2011 में इस स्पेस लैब को अंतरिक्ष की कक्षा में भेजा था। अंतरिक्ष में स्थायी प्रयोगशाला स्थापित करने के प्रयासों में जुटे चीन के लिए इसे मील का पत्थर माना गया था।
दुनिया के पहले परमानेंट स्पेस स्टेशन मीर को नष्ट हुए आज 17 वर्ष हो चुके हैं। 23 मार्च 2001 को भारतीय समयानुसार 11 बजकर 29 मिनट पर न्यूजीलैंड और चिली के बीच के यह समुद्र की तलहटी में समा गया था। मीर ने करीब 15 वर्षों तक अपनी सेवाएं दी थीं। अंतरिक्ष विज्ञान में मीर के योगदान को नकारा नहीं जा सकता है। यह अंतरिक्ष में एक मील का पत्थर था। ‘मीर’ शब्द रूसी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है शांति। आपको बता दें जून 1997 में मीर स्पेस स्टेशन के मालवाहक प्रोग्रेस यान के टकराने से इसको काफी नुकसान पहुंचा था।
Published on:
10 Jan 2018 11:04 am
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