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यौन शक्ति ही नहीं आंखों की रोशनी भी बढ़ाती है ये छोटी सी गोली, वैज्ञानिकों ने किया दावा

न्यूयॉर्क में कोलंबिया यूनिवसिटी में दो साल तक किए गए अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों ने पाया नीले रंग की यह छोटी सी गोली उम्र के साथ कमजोर होती आंखों की नसों को और कमजोर होने से रोकती है।

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यौन शक्ति ही नहीं आंखों की रोशनी भी बढ़ाती है ये छोटी सी गोली, वैज्ञानिकों ने किया दावा

नई दिल्ली: वायग्रा को अभी तक हम और आप यौन शक्ति बढ़ाने की दवा के तौर पर जानते आ रहे हैं। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने नया दावा किया है। दो साल के अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि वायग्रा अंधेपन का इलाज करने में कारगर है। यानी खत्म होती नजर को वापस लाने में वायग्रा काम की दवा साबित हो सकती है।

यौन शक्ति ही नहीं आंखों की रोशनी भी बढ़ाती है ये छोटी सी गोली, वैज्ञानिकों ने किया दावा

न्यूयॉर्क में कोलंबिया यूनिवसिटी में दो साल तक किए गए अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों ने पाया नीले रंग की यह छोटी सी गोली उम्र के साथ कमजोर होती आंखों की नसों को और कमजोर होने से रोकती है। इस बीमारी को एएमडी (एज-रिलेटेड म्यूकल मैक्यूलर डिजेनरेशन) कहते हैं और वैज्ञानिकों को एएमडी को रोकने में वायग्रा का योगदान पता चला है।

हर साल लाखों लोग उम्र बढ़ने के साथ साथ अपने देखने की शक्ति खो बैठते हैं। हालांकि इसका इलाज संभव है लेकिन वायग्रा इसके इलाज में कितना योगदान दे पाती है, ये देखने वाली बात होगी।

एमडी की बीमारी आमतौर पर पचास साल के बाद शुरू होती है जिसमें मरीज की आंखें सूखने के साथ साथ नजर कमजोर होने लगती है। हजारों लोग सही इलाज के अभाव में कुछ सालों में स्थायी तौर पर अंधे हो जाते हैं जबकि लाखों लोग कमजोर नजर के साथ जीने के लिए मजबूर हो जाते हैं।

कोलंबिया यूनिव$सिटी में किए गए अध्ययन के दौरान एएमडी के उम्रदराज मरीजों को रोज दो वायग्रा की गोलियां दी गई। ये सिलसिला दो साल तक चला और परिणाम सकारात्मक थे।

ये अध्ययन ऑप्थलमोलोजिसा जरनल में छपा है और इसमें साफ तौर पर लिखा गया है कि वायग्रा की खुराक से एएमडी के मरीजों को काफी आराम मिला और उनकी खो चुकी रोशनी भी रिस्टोर करने में सफलता मिली।

हालांकि इससे पहले भी एएमडी के इलाज के लिए कारगर दवाएं ईजाद की जा चुकी हैं लेकि उन्हें मरीज की आंख में इंजेक्ट करना पड़ता था, इस लिहाज से देखा जाए तो वायग्रा काफी लाभदायक सिद्ध होगी।

रॉयल कॉलेज ऑफ ऑफ्थलमोलोजिस्ट की प्रोफेसर शोभा शिवप्रसाद ने कहा कि हालांकि ये अध्ययन काफी छोटा था लेकिनह वायग्रा के बड़े सकारात्मक परिणाम सामने आने से अध्ययन करने वाली टीम औऱ वैज्ञानिक समुदाय काफी प्रसन्न है।

हालांकि इन्होंने कहा कि यह अध्ययन का पहला चरण है। वायग्रा को दवा और इलाज के तौर पर स्वीकार करने से पहले हमें अभी कई और अध्ययन करने होंगे, तब जाकर इसे एक दवा के तौर पर मान्यता दी जा सकेगी।

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इससे पहले हुए वैज्ञानिक अध्ययनों में वायग्रा को दिल के दौरे, फेफडे की बीमारी और डिमेंशिया के इलाज में कारगर बताया जा चुका है। हालांकि इन मसलों पर अभी वृहद तौर पर एक्सपेरिमेंट किए जाने बाकी हैं।