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वैज्ञानिकों ने पानी से बना दिया सोना, ऐसे किया ये अनोखा कारनामा

प्राग की चेक एकेडमी ऑफ साइंसेज में क्षारीय धातु की मदद से हुआ प्रयोग, पौराणिक रस-विधा फिर से जागृत होने के आसार। चेक गणराज्य में प्राग की चेक एकेडमी ऑफ साइंसेज में यह कारनामा भौतिक रसायनविदों ने क्षारीय धातु की मदद से कर दिखाया। उन्होंने पानी को सुनहरी चमकीली धातु में बदल दिया।

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वैज्ञानिकों का एक और कारनामा, पानी से बनाया सोना

वैज्ञानिकों का एक और कारनामा, पानी से बनाया सोना

प्राग। प्राचीन काल से धातुओं और रसायन के मिश्रण से सोना बनाने के काफी प्रयास हुए हैं। इस विधा को एल्कमी या रस-विधा कहा जाता है। वैज्ञानिकों ने कुछ हद तक एल्कमी की पहेली सुलझा ली है। शोधकर्ताओं ने पानी से ही सोना बना डाला। चेक गणराज्य में प्राग की चेक एकेडमी ऑफ साइंसेज में यह कारनामा भौतिक रसायनविदों ने क्षारीय धातु की मदद से कर दिखाया। उन्होंने पानी को सुनहरी चमकीली धातु में बदल दिया। आम तौर पर किसी चीज पर बहुत ज्यादा दबाव डालने से वह धातु में तब्दील हो सकती है।

क्षारीय धातु सोडियम-पोटैशियम जैसे प्रतिक्रियाशील तत्वों का समूह होती है। चुनौती यह है कि पानी के संपर्क में आने पर यह विस्फोटक में तब्दील हो जाती है। इसके लिए ऐसा प्रयोग तैयार किया गया, जिससे प्रतिक्रिया धीमी हो जाए और विस्फोट न हो। एक सिरिंज को पोटैशियम और सोडियम से भरा गया, जो सामान्य तापमान पर तरल होता है। इसे निर्वात चेंबर में रख दिया गया।

कुछ ही पलों में परत सोने की -
एक सिरिंज के जरिए शोधकर्ताओं ने मिश्रण की हर बूंद को पानी की भाप की छोटी-सी मात्रा दिखाई, जिससे एक माइक्रोमीटर के दसवें हिस्से जितनी मोटी परत बनी। इस परत में इलेक्ट्रॉन तेजी से धात्विक आयन के साथ पानी में घुल गए। चंद सेकंड के अंदर वह परत सोने की हो गई। इस प्रयोग में उच्च दबाव की जरूरत नहीं पड़ी।

पानी भी बन सकता है धातु-
धातु के अणु या मॉलिक्यूल इतने ज्यादा करीब आ जाते हैं कि इनके बाहरी इलेक्ट्रॉन सहभागी हो जाते हैं। ऐसा ही 48 मेगाबार एटमॉस्फीरिक दबाव पानी पर देने से हो सकता है। हालांकि लैब तकनीक में ऐसा कर पाना मुमकिन नहीं है। नई स्टडी के सह-लेखक पावेल जंगवर्थ ने इलेक्ट्रॉन सहभागिता के लिए क्षारीय धातु का इस्तेमाल किया।