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‘शियर वेव्स’ की वजह से आते हैं बड़े भूकंप, वैज्ञानिकों को धरती के नीचे मिली एक नई संरचना

Research On Earthquake : बड़े भूकंप के आने से पहले धरती से निकलने लगती है खास तरंगे, वैज्ञानिकों ने बताया ये कोर केंद्र और मैटल की परत के बीच है स्थित अमेरिका की मैरीलैंड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने भूकंप को लेकर पेश की कई अहम जानकारी

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Research On Earthquake

नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में पिछले दो महीनों से लगातार भूकंप आ रहे हैं। ऐसे में वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ गई है। वे लगातार इस पर शोध कर रहे हैं और इसके पुष्ता कारणों का पता लगाने में जुटे हैं। इसी बीच उन्हें एक बड़ी कामयाबी मिली है। वैज्ञानिकों ने धरती के नीचे एक नई संरचना (New Structure) की खोज की है। जो कोर केंद्र के पास होती है। यहां से निकलने वाली एक खास तरंगों की आवाज बड़े भूकंप (Huge Earthquake) का संकेत होती हैं। इन्हें शियर वेव्स कहते हैं।

अभी तक वैज्ञानिकों को लगता था कि भूकंप के झटके धरती के नीचे होने वाली हलचल यानि सीस्मिक गैप (Seismic Gap) या फाल्ट लाइन के मूवमेंट्स की वजह से आते हैं। मगर रिसर्च के दौरान उन्हें एक चौंकाने वाली नई चीज की जानकारी मिली। उन्होंने बताया कि पृथ्वी के 2900 किलोमीटर अंदर बड़ी संरचनाएं मौजूद हैं। ये पृथ्वी की पिघली हुई कोर यानि पृथ्वी की भीतर मौजूद दूसरी परत और उसके ऊपर की परत के बीच में स्थित है। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि इन संरचनाओं का व्यास एक हजार किलोमीटर है और इनकी गहराई 25 किलोमीटर तक है।

क्या होती हैं शियर वेव्स (Shear Waves)
ये ऐसी तरंगे होती हैं जो धरती के कोर केंद्र और बाहरी परत यानि मेटल के परत के बीच की संरचना से आती हैं। जब भी आतंरिक संरचना में कोई बदलाव होता है तब इन तरंगों से एक तरह की ध्वनि निकलती है। बड़े भूकंप आने पर इनकी आवाज और तेज हो जाती है।

खास मशीन से की तरंगों की जांच
बड़े भूकंप की वजह जानने एवं अन्य चीजों का पता लगाने के लिए अमेरिका की मैरीलैंड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने खोज की है। उन्होंने प्रशांत महासागर क्षेत्र में साल 1990 से 2018 में आए 7000 भूकंपों के आंकड़ों का अध्ययन किया, जिसमें कुछ बड़े भूकंप भी शामिल थे। शोध में पाया कि जिसे वे अल्ट्रा लो वेलॉसिटी (ULV) जोन कह रहे हैं उसमें से भूगर्भीय तरंगें धीमी गति से गुजरती हैं। हालांकि इसके बावजूद कई साल तक वैज्ञानिक ये नहीं समझ पाएं कि ये तरंगे आती कहां से हैं। आखिरकार उनकी खोज एक ऐसे मोड़ पर खत्म हुई जहां उन्हें कामयाबी हासिल हुई। शोधकर्ताओं ने सीक्वेंसर नाम के एक मशीन लर्निंग एलगॉरिदम का उपयोग करके तरंगों के बारे में जानने की कोशिश की। इस एलगॉरिदम को जॉन्स हॉपकिंस यूनवर्सिटी और तेल अवीव यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने विकसित किया।

तेज भूकंप पर निकलती हैं खास तरंगे
6.5 रिक्टर स्केल या इससे अधिक तेज आने वाले भूकंप में खास तरह की ईको (Echo) वाली तरंगे पैदा होती हैं। जिसका अभी तक पता नहीं चल पाया था। इन्हें शियर वेव्स (Shear waves) कहते हैं और ये जहां बहुत सारे भूकंप एक साथ आते हैं वहां वे एक सी थीं। शोध के प्रमुख लेखक डोयओन किम ने बताया कि उन्हें कोर-मैंटल की सीमा से आने वाले हजारों ईको पर फोकस करने पर पाया गया कि इस सीमा पर बहुत सी ऐसी संरचनाएं हैं जो खास ध्वनि निकालती हैं।

हवाई दीपों के नीचे मिला बड़ा इलाका
हवाई द्वीपों के नीचे मौजूद ULV जोन को पहले जितना समझा गया था ये उससे कहीं ज्यादा बड़ी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हवाई और मार्केसस द्वीपों के नीचे इतना बड़ा इलाका मिलेगा जिसके बारे में अभी तक सब अनजान थे। यह इलाका कोर और मैंटल के बीच है। ये बहुत ही गर्म और ज्यादा घनत्व वाला क्षेत्र है।