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सौर छाता रोकेगा जलवायु परिवर्तन

नई थ्योरी: हवाई यूनिविर्सिटी के खगोलशास्त्री ने सुझाई तरकी (New theory: University of Hawaii astronomer suggests improvement)

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सौर छाता रोकेगा जलवायु परिवर्तन

सौर छाता रोकेगा जलवायु परिवर्तन

वाशिंगटन. धरती के बढ़ रहे तापमान के कारण जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव सामने आ रहे हैं। वैज्ञानिक इसे कम करने के लिए निरंतर शोध कर रहे हैं। अब यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई इंस्टीट्यूट फॉर एस्ट्रोनॉमी के खगोलशास्त्री इस्तवान जॉपडी ने नई थ्योरी दी है। जॉपडी के मुताबिक पृथ्वी पर पडऩे वाले सूर्य के प्रकाश की मात्रा को कम करने के लिए किसी क्षुद्रग्रह पर पर सोलर शील्ड (सौर ढाल) को लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा इसे व्यावहारिक बनाने के लिए जरूरी इंजीनियरिंग का अध्ययन किया जा सकता है, ताकि दशकों के भीतर जलवायु परिवर्तन को कम किया जा सके।
जॉपडी का यह अध्ययन प्रोसिङ्क्षग्स ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित हुआ है।
जलवायु परिवर्तन को कैसे रोकेगी सोर ढाल
वैश्विक तापमान को कम करने का सबसे आसान तरीका है सूर्य के प्रकाश के एक अंश से पृथ्वी को छाया देना। इस विधि को ब्लॉकिंग तकनीक या सौर विकिरण संशोधन (एसआरएम) भी कहा जाता है। यह तकनीक सैद्धांतिक रूप से कुछ सौर किरणों को रोककर पृथ्वी के क्षेत्र को ठंडा किया किया जा सकता है। जॉपडी अमरीका के हवाई का उदाहरण देते हैं, जहां लोग दिन के वक्त सूरज की रोशनी को रोकने के लिए छाते का उपयोग करते हैं। उन्होंने बताया, मैं सोच रहा था, क्या हम पृथ्वी के लिए भी ऐसा कर सकते हैं, ताकि जलवायु परिवर्तन की आने वाली तबाही को रोका जा सके।
ये है बड़ी चुनौती
सौर ढाल की अवधारणा में वजन सबसे बड़ी बाधा है। क्योंकि सौर ढाल को ऐसे बिंदु पर स्थापित किया जाना होगा, जहां पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण और सौर विकिरण के दबाव को संतुलित किया जा सके। इस संतुलन को बनाए रखने के लिए जरूरी है सोलर शील्ड को एक निश्चित वजन के साथ स्थापित किया जाए। इसके लिए ग्राफिन जैसी हल्की और किफायती सामग्री फिट नहीं बैठते, जो अंतरिक्ष में आसानी से ले जाई जा सकती है। इसलिए सौर ढाल को पृथ्वी के निकट रखना उचित हो सकता है।
कैसे काम करेगी सौर ढाल
सौर ढाल को तार के साथ काउंटरवेट से जोड़ा जाएगा। काउंटरवेट धीरे-धीरे खुलेगा और धूल या क्षुद्रग्रह की सामग्री से भर जाएगा, जो वजन के लिए जरूरी है। ढाल और काउंटरवेट का वजन लगभग 318 मिलियन मीट्रिक टन होगा। ढाल के जिस हिस्से को अंतरिक्ष में लॉन्च किया जाएगा, उसका वजन कुल वजन का एक फीसदी रहेगा, यानी काफी हल्का। रॉकेट से 45 हजार मीट्रिक टन वजन पृथ्वी की निचली कक्षा में ले जाया जा सकता है।