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इन स्टूडेंट्स ने बना डाली ऐसी चीज ,जिसे लोग कर रहे काफी पसंद

स्टूडेंट्स ने बनाया पानी की बोतले बांटने वाला रोबोट स्टूडेंट्स ने एसपी रोबोटिक्स मेकर्स लैब से ली थी ट्रेनिंग ऐप के जरिए ऑपरेट होता है रोबोट

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इन स्टूडेंट्स ने बना डाली एेसी चीज ,जिसे लोग कर रहे काफी पसंद

नई दिल्ली। टैक्सी चालक ( auto driver ) हेमंत कुमार तब हैरत में पड़ गए, जब उन्होंने देखा कि एक रोबोट ( robot) उनके पास आकर चिलचिलाती धूप में ठंडे पानी की बोतल दे रहा था। रोबोट पहियों की मदद से इधर-उधर आ-जा रहा था। कुमार ने देखा इस रोबोट को बच्चे ऑपरेट कर रहे थे। उन बच्चों से जाकर वो मिला। यंग स्टूडेंट्स ( students ) ने हेंंमत कुमार को रोबोट जैस्पर के स्ट्रक्चर (structure) के बारे में जानकारी दी।

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बता दें इन स्टूडेंट्स ने रोबोट की नीली आंखे और लंबी गर्दन बनाई, जिससे वो इधर-उधर देख सके। इसकी नीली आखों में एलईडी लाइटें ( LED light ) लगाई गई हैं। इस रोबोट को आठ यंग स्टूडेंट्स ने मिलकर तैयार किया है। दरअसल, जैस्पर को एंड्रॉयड ऐप के जरिए नियंत्रित किया जाता है, यह एक समय में पानी की 50 बोतल बांटने की क्षमता रखता है। स्टूडेंट्स इसे एक जगह ले जाकर कोने में बैठकर ऐप की मदद से कंट्रोल करते हैं। इसमें वॉयस मॉड्यूलेशन सिस्टम भी है, जो लोगों को गर्मी से बचने के लिए पानी की इंपोर्टेंस बताता है।

स्टूडेंट्स ने इसके लिए एसपी रोबोटिक्स मेकर्स लैब से ट्रेनिंग ली थी। जो मुम्बई ( mumbai ) के अंधेरी में स्थित है। इसको बनाने में एक महीना लग गया था। रोबोट को बनाने वाले यंग स्टूडेंस की उम्र 12-15 साल है। जिन्होंने रोबोटिक्स की क्लास के दौरान जैस्पर नाम का रोबोट बनाया।

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हालांकि इसे इस्तेमाल करना बेहद आसान है लेकिन इसको बनाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी। 3X3 फीट क्यूबिकल बॉट रोबोट से ठंडे पानी की बोतल निकालने के लिए 'ओपन' दबाना पड़ता है। उसके बाद एक बोतल चुनने का ऑपशन आता है। जिसके बाद पानी की बोतल निकलती है।

इन बच्चों में ख़ुशी चौधरी, दिशा भारवाड़ा, ईशान कामथ, सिद्धान्त रे, अदित गाँधी, आदित्य गोयल, हुसैस मारफ़तिया और मुदित जैन स्टूडेंट शामिल हैं। इन यंगस्टर्स ने पहली बार इस क्लास के बारे में सोशल मीडिया में देखा था। आनंद मथुरिया एसपी रोबोटिक्स ( robotic ) के देश भर में कुल 75 केंद्र हैं। अमरीका में डिलीवरी बॉट के बारे में सुना होगा। इसी तकनीक से इंस्पयर्ड होकर अब इसे यहां भी इस्तेमाल में लाया जा रहा है।

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मीडिया को स्टूडेंट ने बताया कि इस शोध को सभी ने मिलकर किया है और इसकी प्रणाली को सक्षम कर स्वचालित बनाने के लिए अल्ट्रासोनिक सेंसर, जीपीएस, संलग्न कैमरा और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) पर काम किया जा रहा है।