बता दें अमरीका की साऊथवेस्ट यूनिवर्सिटी ( university )में इस स्टूडेंट( student ) ने ल्यूकेमिया बीमारी से ग्रस्त लोगों पर अध्ययन किया है। इसी दौरान उसे ऐसा बेड बनाने का विचार आया। उसके अनुसार- यह विचार इसलिए आया, क्योंकि बीमारी की वजह से उसने अपने तीन दोस्तों को गंवा दिया था।
औतार के अनुसार- उसके पास शोध करने की अनुमति थी, इसलिए उसने इस बीमारी पर अध्ययन करना शुारू कर दिया था। इस दौरान ऐसी घटनाए हईं, जिसमें उसके दोस्तों की जान चली गई। औतार के अनुसार- अगर इन बेडों का इस्तेमाल अस्पतालों में किया जाता है, तो वहां बेडों से मरीजों के गिरने में 30 प्रतिशत तक की कमी आएगी।
औतार ने कहा कि अस्पतालों में कुछ मरीजों के लिए ऐसे बेड हैं, जो थोड़े बहुत मूव करते हैं, लेकिन उनकी संख्या भी कम है और वो होते भी महंगे हैं। इन्हीं से प्रेरित होकर स्माट झुकावदार बेड बनाने की सोची। इस स्मार्ट बेड को तैयार करने के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ एनएसडब्ल्यू बिजनेस स्कूल के विद्यार्थियों ने मदद की। इस बेड को ‘गैट टू स्लीप इजी’ का नाम दिया है।