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ISRO : जब साइकिल और बैलगाड़ी से प्रक्षेपण स्थल तक ले गए थे सैटेलाइट के उपकरण

भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम (India's space program) 15 अगस्त, 1969 में डॉ. विक्रम साराभाई ने 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' (ISRO) की स्थापना की

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ISRO : जब साइकिल और बैलगाड़ी से प्रक्षेपण स्थल तक ले गए थे सैटेलाइट के उपकरण

जयपुर. आजादी के बाद से अब तक भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की यात्रा संघर्षपूर्ण और दिलचस्प रही है। साइकिल और बैलगाड़ी से शुरू ये यात्रा मंगल और चांद तक पहुंच गई। 1962 में पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति की स्थापना की। इसके बाद 15 अगस्त, 1969 में डॉ. विक्रम साराभाई ने 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन'(इसरो) की स्थापना की। अभी इसरो विश्व की 6 सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसियों में से एक है। 21 नवंबर, 1963 में थुंबा से पहले साउंडिंग रॉकेट ‘नाइक अपाचे’ के साथ भारत के औपचारिक अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत हुई। अमरीका निर्मित रॉकेट के कलपुर्जों को प्रक्षेपण स्थल पर बैलगाड़ी और साइकिल पर ले जाया गया था।

अहम पड़ाव : बढ़ते गए कदम
19 अप्रेल 1975 को भारत ने अपना पहला उपग्रह 'आर्यभट्ट' रूस के प्रक्षेपण केंद्र से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया। नाकाफी संसाधनों के बीच इसरो के तत्कालीन अध्यक्ष प्रोफेसर सतीश धवन के मार्गदर्शन में युवा टीम ने आर्यभट्ट का निर्माण किया। इसका वजन मात्र 360 किलो था, लेकिन इसे बनाने में 3 साल का समय लग गया। इस पर 3 करोड़ खर्च आया था।

18 जुलाई 1980 को इसरो ने एसएलवी-3 का सफल परीक्षण कर भारत का नाम उन देशों में शामिल कर दिया, जो अपने उपग्रहों को खुद प्रक्षेपित कर सकते थे।

1983 में इनसैट-1बी को प्रक्षेपित किया गया। इसने देश में दूरसंचार, दूरदर्शन प्रसारण और मौसम पूर्वानुमान के क्षेत्र में क्रांति आई।

1993 में ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) के सफल प्रक्षेपण से स्वदेशी प्रक्षेपण क्षमता में वृद्धि हुई। इसके जरिए अब तक 50 से अधिक सफल मिशन प्रक्षेपित किए जा चुके हैं।

22 अक्टूबर 2008 को 1380 किलोग्राम का चंद्रयान-1 भेजा, जो 14 नवंबर 2008 को चांद पर पहुंचा। भारत चंद्रमा पर अपना झंडा लगाने वाला चौथा देश बना। चंद्रयान-1 ने ही चांद पर पानी की खोज की थी।

2014 में इसरो ने मंगलयान को मंगल की धरती पर उतारकर कीर्तिमान स्थापित किया। ऐसा करने वाला भारत चौथा देश बना। 450 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।

15 फरवरी 2017 को इसरो ने पीएसएलवी-सी 37 के जरिए एक साथ 104 उपग्रहों को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित कर विश्व रेकॉर्ड बनाया।

5 जून 2017 को इसरो ने देश का सबसे भारी रॉकेट जीएसएलवी-एमके 3 लॉन्च किया। यह अपने साथ 3,136 किग्रा का उपग्रह जीसैट-19 लेकर गया था। इससे पहले 2,300 किग्रा से भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए देश को विदेशी प्रक्षेपकों पर निर्भर रहना पड़ता था।

11 अप्रेल 2018 को इसरो ने नेवीगेशन उपग्रह आइआरएनएसएस लॉन्च किया। यह स्वदेशी तकनीक से निर्मित था। इसके साथ ही भारत के पास अब अमरीका के जीपीएस सिस्टम की तरह अपना नेवीगेशन सिस्टम है।

27 मार्च 2019 को इसरो ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की। जब एंटी सैटेलाइट से एक सैटेलाइट को नष्ट करने में सफलता मिली। अंतरिक्ष में सैटेलाइट को मार गिराने वाला भारत चौथा देश बन गया है।

1 अप्रेल 2019 को इसरो ने इलेक्ट्रॉनिक इंटेलीजेंस उपग्रह समेत 29 उपग्रहों को एक साथ प्रक्षेपित किया। इनमें 28 विदेशी उपग्रह शामिल थे। पहली बार एक ही मशीन से तीन कक्षाओं में उपग्रहों को स्थापित किया है।

22 जुलाई 2019 को भारत ने दूसरे चंद्रमिशन चंद्रयान-2 को रवाना किया। इसे ‘बाहुबली’ नाम के सबसे ताकतवर और विशाल राकेट जीएसएलवी-मार्क-3 के जरिए प्रक्षेपित किया गया। हालांकि यह मिशन सफल नहीं हो सका।

अभी भी हैं चुनौतियां
-अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित करने और मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए लॉन्च व्हीकल की उन्नत तकनीक की कमी।
-श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में तकनीकी दक्षता का अभाव।
-निजी क्षेत्र की सीमित भूमिका
-परियोजनाओं का धीमा क्रियान्वयन

इसरो के भावी मिशन (ISRO's future missions)
-सूर्य का अध्ययन करने वाले मिशन आदित्य-एल 1 को प्रक्षेपित करने की योजना।
-2030 तक भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की भी योजना है।
-2022 में पहले मानव मिशन ‘गगनयान’ को भेजने की तैयारी है। गगनयान को सबसे बड़े रॉकेट जीएसएलवी मार्क-3 के जरिए लॉन्च किया जाएगा।

और भी रेकॉर्ड
-1999 से अब तब इसरो ने ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान(पीएसएलवी) से 34 देशों के 345 विदेशी उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया है।
-वर्तमान में 18000 से अधिक कार्यबल के साथ इसरो अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नित नए कीर्तिमान गढ़ रहा है।

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424 विदेशी उपग्रह छोड़े गए अब तक, इनमें 389 पिछले 9 वर्ष में छोड़े गए।
140 स्टार्टअप काम कर रहे हैं अंतरिक्ष के क्षेत्र में देश में।
114 उपग्रह छोड़े गए हैं अब तक भारत के
13 हजार 700 करोड़ है अंतरिक्ष कार्यक्रम को बजट वर्तमान में भारत का।
36794 करोड़ है देश की अंतरिक्ष इकोनॉमी, जो देश की जीडीपी का एक फीसदी से भी कम है।