script6000 रुपए क्विंटल मंडी में बिक रही मसूर, समर्थन मूल्य मात्र 5500 | 6000 rupees quintal masoor in the market, support price 5500 | Patrika News

6000 रुपए क्विंटल मंडी में बिक रही मसूर, समर्थन मूल्य मात्र 5500

locationसीहोरPublished: Mar 31, 2022 08:52:03 am

Submitted by:

Subodh Tripathi

समर्थन मूल्य पर जो मसूर मात्र 5500 रुपए क्विंटल में खरीद रहे हैं, वो ही मसूर मंडियों में 6000 रुपए क्विंटल तक बिक रही है, इसी प्रकार जहां चना के दाम समर्थन मूल्य पर 5230 रुपए क्विंटल है, वही चना मंडियों में 5500 के ऊपर बिक रहा है.

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सीहोर. लगता है इस बार समर्थन मूल्य पर मसूर और चना की खरीदी कमजोर रहेगी, क्योंकि बाजार में किसानों को अच्छे दाम मिल रहे हैं, समर्थन मूल्य पर जो मसूर मात्र 5500 रुपए क्विंटल में खरीद रहे हैं, वो ही मसूर मंडियों में 6000 रुपए क्विंटल तक बिक रही है, इसी प्रकार जहां चना के दाम समर्थन मूल्य पर 5230 रुपए क्विंटल है, वही चना मंडियों में 5500 के ऊपर बिक रहा है, ऐसे में किसानों का रूझान भी समर्थन मूल्य पर चना, मसूर बेचने में नहीं नजर आ रहा है, वे चना मसूर लेकर मंडियों का ही रूख कर रहे हैं।

समर्थन मूल्य पर चना 5230 मसूर 5500
जिले में चना खरीदी के लिए बनाए गए केन्द्र की कई गांवों से दूरी ज्यादा है। यह भी एक कारण खरीदी के गति नहीं पकडऩे का माना जा रहा है। इसे देखते हुए 13 केंद्र और बढ़ाए गए हैं। एक अप्रेल से 48 केंद्रों पर चना, मसूर की खरीदी होगी। उपज लाने एक केंद्र से 20 से 25 किसानों को ही प्रतिदिन मोबाइल पर एसएमएस भेजा जाता था, लेकिन अब संख्या बढ़ाई जाएगी। किसान ज्यादा मात्रा में ट्रैक्टर-ट्रॉली से उपज लेकर आए। शासन ने चना का 5230 और मसूर का 5500 रुपए समर्थन मूल्य निर्धारित किया है। मंडियों में मसूर 6 हजार रुपए क्विंटल तक बिकी है, जिससे अब तक एक भी केंद्र पर किसान मसूर की उपज लेकर नहीं पहुंचा है। चना का भाव भी अभी ठीक चल रहा है।


जिले में समर्थन मूल्य पर चना, मसूर की खरीदी चल रही है, लेकिन इसमें किसान रुचि नहीं ले रहे हैं। बताया जा रहा है कि अभी तक समर्थन मूल्य पर चना बचने के लिए 1084 किसानों को मैसेज किया गया है, लेकिन उपज लेकर सिर्फ 12 किसान ही पहुंचे हैं। समर्थन मूल्य पर चना की खरीदी 21 मार्च से चल रही है। समर्थन मूल्य पर चना बेचने में किसानों की रुचि बढ़ाने के लिए केन्द्रों की संख्या बढ़ाई जा रही है।


जानकारी के अनुसार समर्थन मूल्य पर बीते 9 दिन में महज 377 क्विंटल 50 किलो चना की खरीदी हो सकी है, जबकि इसमें अमला बहुत लगा है। समर्थन मूल्य पर किसानों के चना बेचने नहीं आने को लेकर तीन प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं। एक तो यह कि मंडी में चने का भाव ठीक मिल रहा है, दूसरा किसान खराब मौसम को देखते हुए गेहूं आदि फसल की कटाई में लगा है। इस बार वेयर हाउस भी खाली हैं, इसलिए किसान यह भी सोच रहे हैं कि अभी खरीदी लंबे समय चलेगी, आराम से बेच देंगे। इस साल 21 हजार 42 किसानों ने चना और 2472 किसानों ने मसूर का पंजीयन कराया है। जिले में बनाए 35 केंद्रों पर 21 मार्च से खरीदी शुरू करा दी थी, लेकिन उसने अभी तक रफ्तार नहीं पकड़ी है।


पर्याप्त मात्रा में बुलाया बारदान
पिछले कुछ सालों में खरीदी के दौरान बारदानों का संकट आने से खरीदी कार्य प्रभावित हुआ था। इस वजह से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ा था। इस बार ऐसी स्थिति नहीं बने इसलिए 1200 गठन बारदान की पहले ही बुलाकर केंद्रों पर भेज दी गई है। अफसरों का कहना है कि बारदान की गठन की जरूरत लगी तो और बुलाई जाएगी।


चार अप्रेल से खरीदी
जिले में इस बार समर्थन मूल्य पर पहले 25 मार्च से गेहूं की खरीदी होना था, लेकिन शासन ने तारीख बढ़ाकर चार अप्रेल कर दी है। बताया जा रहा है कि 206 केंद्र पर इस साल गेहूं खरीद होगी। इसके लिए केंद्रों पर ज्यादातर तैयारी पूरी हो गई है। इस समय कृषि उपज मंडियों में भी नीलामी बंद है। ऐसे में आगामी दिनों में समर्थन केंद्र और मंडियों में आवक बढ़ेगी।

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अभी किसान फसल कटाई और थ्रेसिंग करने में जुटा हुआ है।उस वजह से समर्थन मूल्य पर चना की उपज लेकर नहीं आ रहा है, लेकिन एक अप्रेल बाद तेजी से केंद्रों पर आवक बढ़ेगी।
-आरएस जाट, एडीडीए कृषि विभाग सीहोर

 

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