
सीहोर। आधुनिक मशीन की जा रही टीबी के मरीजो के सेंपल की जांच
सीहोर। टीबी (क्षय रोग) बीमारी से ग्रस्त मरीजों को अब जांच कराने इधर उधर नहीं भटकना पड़ेगा। आसानी से जांच होने के बाद महज दो घंटे में रिजल्ट सामने आ जाएगा। इसके बाद मरीज को इलाज कराने में ज्यादा तकलीफ नहीं उठाना पड़ेगी। यह सब संभव हो सकेगा सीबी नेट मशीन से। आधुनिक तरीके से बनी यह मशीन टीबी के एक वाइरस की भी पहचान कर बता देगी। हजारों रुपए में होने वाली इसकी जांच जिला अस्पताल में मुफ्त में होगी।
स्वास्थ्य सेवा देने जिला अस्पताल को हाईटेक का दर्जा देने की कवायद शुरू हो गई है। अस्पताल को आधुनिक रूप में बदला जा रहा है। सीटी स्केन, आधुनिक जांच के साथ अब करीब २५ लाख की लागत से सीबी नेट टीबी जांच मशीन आई। इस मशीन से टीबी के मरीजों की स्थिति का पता करने छह से आठ माह का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। आधुनिक मशीन में जांच सेंपल डालते ही महज दो घंटे से भी कम समय में परिणाम आ जाएगा।
पहले क्या थी स्थिति
टीबी का पता करने लिए सैंपल की जांच करने माइक्रो स्कोप मशीन का उपयोग किया जाता था। इस प्रक्रिया के दौरान कई बार ३० फिसदी रिजल्ट गलत आते थे। वही मल्टी ड्रग रजिस्टेंट (एमडीआर) मरीजों की स्थिति का भी पता नहीं चल पाता था। इसके लिए मरीजों को चार से छह तो कभी आठ माह तक का इंतजार करना पड़ता था। इस दौरान उनकी हालत ओर भी ज्यादा खराब होने की संभावना बड़ जाती थी।
कैसे करती है मशीन काम
सीबी नेट मशीन डीएनए की खोज वाली अत्याधुनिक मशीन है। यह जीन एक्सपर्ट विधि से मरीज से मिलने वाले नमूने में टीबी के कीटाणु के जींस को खोज कर टीबी की जांच करती है। मरीज पर टीबी रोधक दवाएं काम करती है या नहीं, इसकी जानकारी भी तुरंत मिल जाती है। कुछ टीबी रोधक दवाएं काम करना बंद कर देती है, उसे मल्टी ड्रग रजिस्टेंट टीबी के नाम से भी जाना जाता है। इस मशीन से जिला अस्पताल में निशुल्क जांच की जाएगी। बता दे कि पहले जांच के लिए भोपाल या अन्य बड़े शहरों में निजी जांच सेंटरों पर आठ हजार रुपए में जांच की जाती थी। इससे मरीज और उसके परिजन पर अतिक्ति भार आ जाता था।
फेक्ट फाइल
टीबी मरीज १४५०
सीबी नेट से जांच ८४०
नए मरीज १९०
एमडीआर मरीज ०९
- जानकारी जिला अस्पताल के अनुसार
पता चलेगा
आधुनिक मशीन से मरीजों में टीबी की वास्तविक स्थिति तुरंत पता चल जाती है। इससे मरीज को समय पर बेहतर इलाज किया जा सकता है। इस कारण मरीज को स्वस्थ होने में कम समय लगता है।
पद्माकर तिवारी, जिला क्षय अधिकारी, सीहोर
Published on:
09 Sept 2018 02:06 pm
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