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80 हजार मैट्रिक टन उपज खुले आसमान के नीचे, परिवहन के इंतजार में केंद्रों की उपज

80 हजार मैट्रिक टन उपज खुले आसमान के नीचे, परिवहन के इंतजार में केंद्रों की उपज...

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wheat bags kept in dhan mandi

सीहोर। जिले में समर्थन खरीदी केंद्रों पर किसानों से खरीदी गई उपज खुले आसमान के नीचे भगवान भरोसे रखी है। इनको सुरक्षित स्थान पर रखने की बजाए अनदेखा किया जा रहा है।


जानकारों का कहना है कि ऐसे में मौसम के बिगड़े मिजाज के चलते तेज बारिश हुई तो यह उपज उसकी भेंट चढ़कर बर्बाद हो जाएगी। जिले में समर्थन मूल्य पर चना, मसूर और गेहूं खरीदी की गई है। 160 केन्द्रों पर 14 समितियों ने 18 मई तक 42 लाख टन गेहूं की खरीदी की थी। इसमें काफी उपज का परिवहन हो चुका है।


80 हजार मैट्रिक टन गेहूं को ओपन कैंप और 2 लाख टन के करीब खरीदी केन्द्र और सोसायटियों में रखा है। पिछले 12 अप्रैल से चना, मसूर की खरीदी की जा रही है।

इसमें 55 हजार मैट्रिक टन चना और 6 हजार मैट्रिक टन मसूर खरीदी की जा चुकी है। चना खरीदी के लिए 25 हजार 700 किसानों ने पंजीयन कराया था। इसमें अभी भी 6 फीसदी किसानों से खरीदी की जाना है।


चने का अधिकतर परिवहन हो चुका है। जबकि 5 फीसदी का परिवहन शेष है। ओपन कैंप में रख रहे उपज खरीदी के बाद परिवहन की धीमी रफ्तार और वेयर हाउस की व्यवस्था नहीं होने से इंदौर-भोपाल हाइवे स्थित तकीपुर, इछावर, गोपालपुर, सिंगपुर, बुधनी, भौंरी, शाहगंज, हरदाखेड़ा और होशंगाबाद के केसला में 80 हजार मैट्रिक टन उपज खुले कैंप में रखी है।

इनके ऊपर सुरक्षा की दृष्टि से महज तिरपाल ढांकी गई है। ऐसे में तेज बारिश हुई तो करोड़ों रुपए की यह उपज खराब हो जाएगी। बता दे कि पिछले कुछ दिन से मौसम में भी उथल-पुथल का दौर चल रहा है। बावजूद जिम्मेदार अफसर इस तरफ ज्यादा गंभीरता दिखाते नजर नहीं आ रहे हैं।

इधर, सैलानी बुझा रहे बंदरों की प्यास :-
इन दिनों प्रदेश भर में पड़ रही झुलसा देने वाली भीषण गर्मी के बीच जंगली जीव भी इस समय पानी की एक एक बूंद के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला सीहोर जिले से भी सामने आया है।

यहां 42 से 44 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान के बीच जिले के नादान घाट पर गुजरने वाले सैलानी और यात्री आजकल पानी के लिए परेशान बंदरों को अपने साथ लाया पानी पिलाकर पुण्य कमा रहे हैं।