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एक्मे पेपर की जमीन पर बंदूकधारी गार्ड तैनात: अवैध कब्जा हटाने में विवाद के आसार; लॉ इन ऑर्डर के लिए खतरा, राजस्व और पुलिस की अनदेखी पड़ सकती है भारी

सीहोर. एक्मे पेपर लिमिटेड कंपनी और ईट कारोबार करने वाले प्रजापति समाज के व्यक्तियों के बीच चल रहा जमीन विवाद लॉ इन ऑर्डर के लिए खतरा बन सकता है। स्थिति नाजुक बनी हुई है, विवाद को लेकर जल्द ही राजस्व और पुलिस की तरफ से कोई पहल नहीं की गई तो मामला गंभीर हो सकता […]

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कंपनी की तरफ से सुरक्षा के लिए तैनात किए गए गार्ड


सीहोर. एक्मे पेपर लिमिटेड कंपनी और ईट कारोबार करने वाले प्रजापति समाज के व्यक्तियों के बीच चल रहा जमीन विवाद लॉ इन ऑर्डर के लिए खतरा बन सकता है। स्थिति नाजुक बनी हुई है, विवाद को लेकर जल्द ही राजस्व और पुलिस की तरफ से कोई पहल नहीं की गई तो मामला गंभीर हो सकता है।
जनकारी के अनुसार कस्बा क्षेत्र में एक्मे पेपर लिमिटेड की 0.159 हेक्टेयर भूमि खाली पड़ी है। इस जमीन पर लंबे समय से कुछ परिवार ईट बनाने का काम कर रहे थे। कुछ दिन पूर्व भूमि स्वामि एक्मे पेपर लिमिटेड ने राजस्व निरीक्षक मंडल एक तहसील सीहोर में आवेदन देकर भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने की गुहार लगाई। राजस्व विभाग ने 5 फरवरी को नोटिस जारी कर ईट बनाने वाले परिवारों को 13 फरवरी तक अपना सामान हटाकर जमीन खाली करने के आदेश दिए, लेकिन अभी तक सामान नहीं हटा है, जिसे लेकर बंदूकधारी गार्ड और ईट कारोबारियों के बीच विवाद हो रहा है। यह विवाद कभी भी लॉ इन ऑर्डर के लिए खतरा बन सकता है। ईट बनाने वाले कैलाश प्रजापति, कमलेश प्रजापति, दिनेश प्रजापति, संतोष प्रजापति, रामदयाल राजपूत, गजेंद्र कुार, आशा बाई, बलराम प्रजापति, संजय प्रजापति, अयोध्या बाई, सुनिता बाई, किशनलाल, राधेकिशन प्रजापति, हेमंत प्रजापति, राजू कुशवाह, अभिषेक प्रजापति, सावित्री बाई आदि ने बेदखली की कार्रवाई रोकने की मांग की है।

50 साल से जमीन पर अवैध कब्जा

जमीन पर ईट बनाने वाले परिवारों का कहना है कि जमीन पर एक्मे पेपर लिमिटेड कंपनी ने अपने बंदूकधारी गार्ड तैनात कर दिए हैं। यह गार्ड उन्हें ईट और कच्चा माल उठाने नहीं दे रहे हैं। वह बीते करीब 50 साल से उक्त भूमि पर ईट बनाने का काम कर रहे हैं, करीब 12 लाख कच्ची ईट रखी हुई हैं। ऐसे में यदि कंपनी की जमीन से कब्जा हटाया तो वह बर्बाद हो जाएंगे। ईट खराब होने और कच्चा माल उपयोग में नहीं आने से इतना नुकसान होगा कि वह कर्ज में डूब जाएंगे। इन सभी परिवार में से ज्यादातर ईट कारोबार से जुड़े हुए हैं। करीब 12 ईट भट्टे इस जमीन पर लगाए जाते हैं।

बेशकीमती जमीन पर दोनों के दावे

यह जमीन एक्मे पेपर लिमिटेड की है। मिल बंद होने के बाद अब कंपनी की तरफ से इस जमीन को अपने कब्जे में लेने के लिए कानूनी प्रक्रिया शुरु की गई है। इस जमीन पर अभी लोग कब्जा किए हुए हैं। कुछ तो ईट बनाने के साथ खेती भी कर रहे हैं। इस जमीन की बाजार में इस समय कीमत करोड़ों रुपए प्रति एकड़ है। सीवन नदी किराने स्थित इस जमीन पर ईट बनाने और भट्टे लगाने का काम भी होता है। प्रजापति और कुशवाह समाज के लोग सालों से कब्जा किए हुए हैं। ऐसे में अचानक राजस्व ने अवैध कब्जे हटाने का आदेश दे दिया है। कंपनी ने सुरक्षा के लिए बंदूकधारी गार्ड तैनात कर दिए हैं। अवैध कब्जाधारी जमीन छोडऩा नहीं चाहते हैं और कंपनी उन्हें बेदखल करने के लिए दबाव बना रही है। ऐसे में विवाद होने पर मामला बिगड़ सकता है।