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भगवान विष्णु और भोलेनाथ का हरिहर मिलन

वर्ष में एक बार भगवान विष्णु एवं भगवान शंकर को चढ़ाई जाने वाली मंजरी एवं बिल पत्र

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भगवान विष्णु और भोलेनाथ का हरिहर मिलन

बैकुंठ चौदस पर पूजा-अर्चना करते हुए।

सीहोर. कार्तिक मास के दौरान पडऩे वाली बैकुंठ चौदस पर रविवार व सोमवार की दरम्यिानी रात को मंदिरों सहित कई जगहों पर भगवान शिव एवं भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के साथ हरि हर मिलन का कार्यक्रम संपन्न हुआ। वर्ष में एक बार भगवान विष्णु एवं भगवान शंकर को चढ़ाई जाने वाली मंजरी एवं बिल पत्र का कार्यक्रम देर रात्रि तक चलता रहा।

इस दौरान भगवान श्रीगणेश, भगवान विष्णु, भगवान शंकर एवं सालिगराम महाराज की पूजा-अर्चना की गई। ज्ञातव्य है कि बैकुंठ चौदस के मौके पर हरिहर मिलन का आयोजन होता है। जिसमें वर्ष में एक बार भगवान विष्णु को बिल पत्र एवं भगवान शंकर को मंजरी चढ़ाई जाती है। इसके बाद पूरे वर्ष भर मंजरी व बिल पत्र दोनों देवताओं को एक साथ नही चढ़ाई जाती है।

इसलिए इस दिन को हरिहर मिलन के रूप में माना गया है। हरिहर मिलन का यह स्वरूप नगर में देर रात्रि तक देखने को मिला। शिव मंदिरों में पूजा-अर्चना का दौर चला तो कई घरों में भी हरिहर मिलन के आयोजन संपन्न हुए। क्षेत्र के प्रसिद्ध पंडित राजेश पौराणिक ने बताया कि हरिहर मिलन का महत्व कार्तिक मास नहाने एवं व्रत करने वाली महिलाओं के द्वारा विशेष रूप से माना जाता है। व्रत और उपवास के साथ ही यह एक मात्र ऐसा दिन होता है जिसमें एक दूसरे देवताओं का एक साथ मिलन होता है। इस दिन भगवान विष्णु और शंकर के मिलन के रूप में भी इस दिन को मनाया जाता है।

वैसे तो मान्यताएं कई हैं लेकिन हरिहर मिलन के स्वरूप को देखा जाए तो यह फलदायी होता है। अद्र्धरात्रि तक इसके आयोजन संपन्न होते हैं और रात्रि के समय बिल पत्र मंजरी चढ़ाकर भगवान भोले एवं विष्णु को पूजा जाता है।

रविवार रात्रि में जहां भगवान श्रीगणेश का अभिषेक संपन्न हुआ वहीं सालिगराम महाराज की भी पूजा-अर्चना की गई। भगवान विष्णु का अभिषेक होने के साथ ही भगवान भोले का रूद्र अभिषेक किया गया। इसके बाद हरिहर मिलन का सिलसिला प्रारंभ हुआ। ओम नम: शिवाय के जाप से श्रद्धालुओं ने बिल पत्र एवं मंजरी दोनों ही देवताओं को चढ़ाकर हरिहर मिलन के दर्शन किए और पुण्य लाभ कमाया।