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यहां सीहोर के पंडित प्रदीप मिश्रा ने दिलाया ऐसा संकल्प, जानिए क्या ?

इस जगह पर पहुंचे थे पंडित मिश्रा

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सीहोर

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Anil Kumar

Mar 23, 2022

महादेव की होली

महादेव की होली

अनिल मालवीय की रिपोट...
सीहोर. पंडित प्रदीप मिश्रा इस समय लोगों को धर्म के साथ एकजुटता के बंधन में बांधने में लगे हैं। इसकी झलक पिछले कई समय से देखी जा रही है। इस साल पहली बार ऐसा हुआ जब मिश्रा के नेतृत्व में महादेव की खेली गई जिसमें आस्था का सैलाब उमड़ा।

जिला मुख्यालय सीहोर से 20 किमी दूर बिलकिसगंज में मंगलवार को पंडित प्रदीप मिश्रा के नेतृत्व में महादेव की होली खेली गई। यहां पंडित मिश्रा ने लोगों को संकल्प दिलाया कि वह आम बोलचाल की भाषा में बिलकिसगंज को पूर्व की तरह झागरिया कहकर ही बुलाए।बता दे कि पूर्व में बिलकिसगंज का नाम झागरिया ही हुआ करता था। बिलकिसगंज के बिजली कंपनी स्थित शिव मंदिर में पूजा अर्चना के बाद चल समारोह की शुरूआत हुई। इसके लिए उज्जैन से 20 ढोल बुलाए गए थे। ढोल के साथ दो डीजे भी थे। जिनके ऊपर लोग थिरकते हुए चल रहे थे तो कोई रंग गुलाल बरसा रहा था। चल समारोह प्रमुख मार्गो से होता हुआ थाने के समीप स्थित शिव मंदिर पहुंचा, जहां समापन हुआ। व्यवस्था बनाने के लिए पुलिस, प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद रहा। चल समारोह में उज्जैन के बजते हुए ढोल,शिव पार्वती, राम लक्ष्मण बने कलाकारों की जोड़ी आकर्षण का केंद्र रही। एक किमी तक निकले इस चल समारोह में हजारों लोगों ने शामिल होकर हर हर महादेव के जयकारे लगाए और जमकर रंग गुलाल उड़ाकर फूल बरसाए।

मनुष्य को अनुशासन में रहना चाहिए
मनुष्य को ईश्वरीय अनुशासन में रहकर अपने धर्म पर चलते हुए कर्म करना चाहिए। धर्म बहुत व्यापक है। जैसे पिता धर्म पुत्र, धर्म राजधर्म इनका पालन करते हुए इंसान को अपनी जिम्मेदारी और कर्तव्य का निर्वहन करते रहना चाहिए। जिससे मानव के जीवन में सुख शांति प्राप्त होती हैं।यह बात गांव बारवाखेड़ी में त्यागी परिवार की तरफ से आयोजित शिव महापुराण कथा में कथावाचक पंडित महेश गुरु ने कही। आयोजन के प्रवक्ता संजय त्यागी ने बताया कि कथा के चौथे दिवस कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा भी गांव बारवाखेड़ी पहुंचे। श्री शिव महापुराण कथा में कथावाचक महेश गुरु ने कहा कि भगवान शंकर ही सृष्टि का मूल है। उन्हीं से ब्रह्मा व विष्णुजी प्रकृट हुए। ब्रह्माजी को श्रष्टि के कार्य और भगवान विष्णु को सृष्टि के पालन के कार्य में नियुक्त किया। ब्रह्मा को उन्होंने अपने दाहिने अंग से व विष्णु को अपने बाएं अंग से प्रकट किया और स्वयं सृष्टि का संहार करने के लिए रुद्र के रूप में प्रकट हुए। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को धर्म, कर्म करते रहना चाहिए। यही जीवन का सार है और इससे ही सफल हो जाएगा।