- दुनिया में धाक जमा रहे शरबती को और सहारे की जरूरत
कुलदीप सारस्वत
सीहोर. विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही गांव-गांव राजनीतिक चर्चाओं का दौर चल रहा है। सीहोर और आष्टा विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की नब्ज टटोलने की शुरुआत हमने 40 किमी का सफर तय कर आष्टा के कोठरी से की। दस किमी आगे मानाखेड़ी गांव में प्रवेश करते ही देवी मंदिर पर अमर विश्वकर्मा, सुखराम सिंह, विक्रम, गोपाल और लक्ष्मण बैठे मिले। साधन सुविधाओं की बात करने पर अमर विश्वकर्मा बोले, ‘डेढ़ हजार की आबादी वाले इस गांव में एक हजार वोटर हैं। कोठरी से मानाखेड़ी तक की सड़क का सफर किसी यातना से कम नहीं है। वैसे तो यह शाजापुर जिले की कालापीपल तहसील को जोड़ने वाली प्रमुख सड़क है, लेकिन जगह-जगह गड्ढे हैं।
सरकारी योजनाओं की खुशी, लेकिन जल संकट से परेशान
सरकारी योजनाओं के लाभ के बारे में उनका कहना था- योजनाएं ठीक हैं। किसान को सम्मान निधि का फायदा मिल रहा है। लेकिन, जब हम फसल लेकर मंडी जाते हैं तो उचित भाव नहीं मिलता। इस बार मंडी में समर्थन मूल्य तक नहीं मिल पाया। गेहूं केवल 1800 रुपए प्रति क्विंटल में बेचा है। बोरखेड़ा में चौराहे पर बैठे श्रीमल मेवाड़ा से बात की शुरुआत की तो उन्होंने कहा, गांव में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। गर्मी के सीजन में जलसंकट झेलना पड़ता है। हरि मालवीय का कहना था, खेती छोड़ गांव में रोजगार की सुविधा नहीं है। निपानिया में माखनलाल बोले, प्रशासन निरंकुश हो गया है।
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कॉलेज का इंतजार
सीहोर मुख्यालय के बाद हम श्यामपुर पहुंचे। यह वैसे तो ग्राम पंचायत है, लेकिन यहां तहसील है। विधानसभा क्षेत्र का सबसे बड़ा मुद्दा नर्मदा जल, श्यामपुर में शासकीय कॉलेज का है। यहां के युवा कॉलेज की पढ़ाई के लिए 35 किमी दूर सीहोर आते हैं। विवेक पाटीदार, जगदीश मालवीय का कहना था, बीते सात साल से सुन रहे हैं कि नर्मदा का पानी मिलेगा। छात्र जीतेन्द्र सिंह ने बताया श्यामपुर और दोराहा तहसील क्षेत्र में एक भी सरकारी कॉलेज नहीं है।
शरबती को सरकार के और सहारे की जरूरत
इसके बाद हम सीहोर विधानसभा क्षेत्र में आ गए। शरबती गेहूं से दुनियाभर में धाक जमाने वाले इस क्षेत्र के किसान अपनी इस पहचान से बहुत खुश हैं। लेकिन, वे मानते हैं कि शरबती को सरकार के और सहारे की जरूरत है। सेमरादांगी में सुनील यादव, ब्रजेश वर्मा कहते हैं कि शरबती को जीआइ टैग मिल गया, लेकिन बाजार में भाव किसान को अच्छा मिले, इसके लिए योजना नहीं है। सरकार शरबती की खरीदी के लिए अलग से नीति बनाए। खेती और पेयजल के लिए वे नर्मदा जल की आस भी रखते हैं।
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