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मम्मी अंजलि के साथ सीहोर आईं सारा तेंदुलकर, आदिवासियों ने किया जोरदार स्वागत, जानें वजह

सचिन तेंदुलकर फाउंडेशन ने जिले के पांच गांवों को गोद ले रखा है। इसी के चलते पत्नी अंजलि तेंदुलकर और उनकी बेटी सारा तेंदुलकर यहां पहुंची थीं।

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sara tendulkar

क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर की पत्नी अंजलि तेंदुलकर और उनकी बेटी सारा तेंदुलकर मंगलवार को मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के अंतर्गत आने वाले भैरुन्दा के आदिवासी अंचल के गांव जामुनझील और सेवनिया पहुंचीं। इसके पीछे कारण ये है कि सचिन तेंदुलकर फाउंडेशन ने इन गांवों को गोद ले रखा है। याद हो कि कोरोना काल से पहले सचिन तेंदुलकर भी यहां आए थे।

अंजलि तेंदुलकर और उनकी बेटी सारा का ग्रामीणों ने आदिवासी परंपरा के तहत पूरी गर्मजोशी से स्वागत किया। आपको बता दें कि अंजलि और उनकी बेटी गोपनीय तौर पर यहां आईं थीं। पहले वे मुंबई से भोपाल एयरपोर्ट पहुंचीं। फिर यहां से कार में सवार होकर देवास जिले के संदलपुर पहुंची। यहां से सीहोर जिले में संचालित जामुनझील और सेवनिया में संचालित सेवा कुटीर पहुंची थीं। उनका कार्यक्रम इतना गोपनीय था कि पुलिस प्रशासन को भी इसकी सूचना नहीं थी।

जिले की 5 कुटीरों को सचिन तेंदुलकर फाउंडेशन ने लिया गोद

गौरतलब है कि सीहोर जिले के 5 कुटीरों को सचिन तेंदुलकर फाउंडेशन द्वारा गोद लिया है। उन्हें इसी फाउंडेशन के जरिए जरूरी मदद की जाती है। इससे पहले सचिन तेंदुलकर भी सीहोर जिले की इन कुटीरों में पहुंचे थे। उनका कार्यक्रम भी बेहद गोपनीय रखा गया था। सीहोर जिले में नयापुरा, खापा, बेलपाटी, जामुनझील और सेवनिया में सचिन तेंदुलकर फाउंडेशन द्वारा कुटीर संचालित की जाती है। इन कुटीरों में यहां के बच्चों की सुबह-शाम पढ़ाया जाता है। इसी के साथ इन कुटीरों में बच्चों को श्रीराम, श्रीकृष्ण के भजन सुनाने के साथ साथ स्वामी विवेकानंद के जीवन से प्रेरित बातें बताई जाती हैं। बच्चे यहां पढ़ाई के साथ-साथ ड्राईंग और अन्य गतिविधियों में भी भाग लेते हैं।

ग्रामीणों ने किया शानदार स्वागत

इन कुटीरों में 3 साल से 15 साल के बच्चों को पढ़ाया जाता है। यहां इन्हें निशुल्क भोजन भी कराया जाता है। इसके अलावा सुबह 7 से 10 और शाम 4 से 6 बजे तक इन्हें पढ़ाया भी जाता है। इस बीच जो बच्चे स्कूल जाना चाहते हैं वे स्कूल भी जाते हैं। अंजलि तेंदुलकर और सारा तेंदुलकर जब ग्राम जामुनझील और सेवनिया पहुंची तो यहां पर ग्रामीणों ने उनका स्वागत भी बेहद शानदार ढंग से किया। आदिवासी ढोल और तीर-कमान से दोनों का स्वागत सत्कार किया गया।

विनायक लोहानी ने की थी सेवा कुटीरों की स्थापना

सेवा कुटीरों की स्थापना विनायक लोहानी द्वारा की गई थी। इसके बाद सचिन तेंदुलकर फाउंडेशन ने इन्हें गोद ले लिया। अब सचिन तेंदुलकर फाउंडेशन इन कुटीरों को संचालित करता है। इसके लिए उन्होंने इन गांवों में मकानों में इसकी शुरूआत की थी। यहां पर बच्चों को पढ़ाई, भोजन के साथ ही संस्कारों की भी शिक्षा दी जाती है।