
स्कूल
अनिल मालवीय, सीहोर. जिले में सरकारी स्कूलों के ढर्रे में कोई सुधार नहीं हुआ है। कई स्कूल कंडम भवन तो कहीं किराए के भवन भरोसे हैं। इनमें बच्चों को पढ़ाने शिक्षकों का अलग टोटा है। इससे 15 जून से नवीन शिक्षा सत्र 2022-23 के शुरू होते ही स्कूल में पढ़ाई करने आने वाले छात्र-छात्राओं को परेशानी होगी। शिक्षा विभाग उच्च स्तर पर इस संबंध में अवगत कराने की बात कह रहा है, लेकिन अब तक हुआ कुछ नहीं है।
सबसे बेकार स्थिति प्राइमरी कक्षा एक से पांच और मिडिल कक्षा छह से आठ तक में बनी है। शिक्षा विभाग की माने तो सरकारी प्राइमरी और मिडिल के 47 स्कूलों के भवन जीर्णशीर्ण हालात में हैं। इनमें 30 प्राइमरी और 17 मिडिल स्कूल भवन शामिल हैं। शिक्षा विभाग ने स्कूलों को चिन्हित कर नवीन शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले मेंटेनेंस कराने उच्च स्तर पर पत्र लिखकर राशि मांगी है, लेकिन अब तक राशि नहीं मिलने से काम नहीं हुआ है।
शिक्षक तक नहीं है पर्याप्त
शिक्षा विभाग के अनुसार सीहोर जिले में कक्षा एक से 12वीं तक के 2229 सरकारी स्कूल हैं। इन स्कूलों में एक लाख 59 हजार 207 छात्र संख्या दर्ज है, जिनको पढ़ाने महज 5047 शिक्षक पदस्थ हैं। इसमें 33 प्राचार्य, 166 वरिष्ठ अध्यापक,124 सहायक शिक्षक, 178 सहायक शिक्षक वर्ग तीन, 56 सहायक शिक्षक वर्ग दो, 813 अध्यापक, 104 हेडमास्टर (मिडिल), 151 हेडमास्टर (प्राइमरी), 631 शिक्षक, 2024 सहायक शिक्षक पदस्थ हैं। छात्र संख्या के हिसाब से स्कूलों में शिक्षकों की संख्या कम हैं। यही नहीं 232 हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूल में से 33 में स्थाई प्राचार्य हैं, जबकि 229 स्कूल प्रभारी प्राचार्य के भरोसे है। स्थाई प्राचार्य नहीं होने से स्कूलों में कामकाज प्रभावित होते हैं।
50 स्कूलों में टॉयलेट की डिमांड
स्कूलों में टॉयलेट तक की स्थिति ठीक नहीं है। टॉयलेट बने तो हैं, लेकिन क्षतिग्रस्त होने के साथ उनमें गंदगी का अंबार है। शिक्षा विभाग ने कक्षा एक से आठ तक के स्कूलों में 50 नवीन टॉयलेट बनाने की डिमांड बनाकर शासन को भेजी है। इसमें 28 स्कूल में बालक टॉयलेट और 22 में बालिका टॉयलेट बनाने का जिक्र किया है।
नहीं मिल पाया खुद का भवन इन दो उदाहरण से समझे-
केस 01: 26 साल से निजी भवन में चल रहा स्कूल
सीहोर के वार्ड क्रमांक 29 दशहरा वाला बाग में शासन ने शासकीय प्राइमरी ईजीएस स्कूल खोला था। इस स्कूल को साल 1996 से आज तक स्वयं का भवन नहीं मिला है। यह स्कूल पिछले 26 साल से जर्जर किराएं के जर्जर भवन में संचालित होता आ रहा है। जिसकी हालत इतनी खराब है कि बारिश में छत से पानी और प्लास्टर का मटैरियल टूटकर गिरता रहता है। इससे शिक्षक और बच्चों की जान जोखिम में रहती है। रहवासियों ने कई बार तहसील,कलेक्ट्रेट में शिकायत दर्ज कराते हुए नया भवन बनाने मांग की, लेकिन नतीजा सिफर रहा।
केस 02: खपरेलू मकान के भरोसे स्कूल
गणेश मंदिर रोड पर शुगर फैक्ट्री के सामने शासकीय प्राथमिक स्कूल भवन की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। यह स्कूल लंबें समय से शुगर फैक्ट्री के बने खपरेलू क्वाटर में चल रहा है। जिसमें करीब 50 से अधिक बच्चे दर्ज हैं। स्कूल में पदस्थ स्टॉफ सर्दी के मौसम में तो जैसे तैसे बच्चों को बाहर बैठाकर पढ़ा लेता है, लेकिन बारिश के चार महीने बड़े ही मुसीबत भरे निकलते हैं। मकान कंडम होने के साथ खपरेलू होने से पानी की टिप टिप लगी रहती है, जिससे परेशानी आती है। बताया जाता है कि इसी तरह से सीहोर के कस्बा क्षेत्र में एक स्कूल किराए के भवन चल रहा है। यह सीहोर के हाल हैं तो पूरे जिले में क्या होगा अंदाजा लगा सकते हैं।
Published on:
06 Jun 2022 03:41 pm
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