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किसानों के लिए मौत का फरमान है तीनों कृषि काला कानून,कक्का जी

locationसिवनीPublished: Mar 25, 2021 08:43:55 am

Submitted by:

akhilesh thakur

तीन प्रतिशत कर्मचारियों की हड़ताल सरकार सुनती हैं, 80 प्रतिशत किसानों के आंदोलन की अनदेखी

किसानों के लिए मौत का फरमान है तीनों कृषि काला कानून,कक्का जी

किसानों के लिए मौत का फरमान है तीनों कृषि काला कानून,कक्का जी

सिवनी. संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वावधान में बुधवार को बस स्टेण्ड के पास दशहरा मैदान में किसान महापंचायत का आयोजन हुआ। किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाली सात सदस्यीय कमेटी के सदस्य शिवकुमार उर्फ कक्का जी, अंतर्राष्ट्रीय शूटर पूनम पंडित, प्रतिभा सिंद्धे, राहुल राज, रवि दत्त आदि पहुंचे। दशहरा मैदान में सैकड़ों की संख्या में किसान उपस्थित रहे। करीब तीन घंटे तक चले महापंचायत में किसानों ने नेताओं को सुना और नारे लगाए।
किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए कक्का जी ने कहा कि किसानों के आंदोलन का बुधवार को 119 दिन पूरे हुए। आंदोलन में अब तक 318 लोग शहीद हो चुके हैं। दुनिया में किसानों का इतने लंबे समय तक और इतनी बड़ी संख्या में शहादत देने वाला यह पहला आंदोलन है। हमलोग गांधीवादी विचारधारा के अनुसार अंहिसापूर्वक आंदोलन को आगे बढ़ा रहे हैं। किसानों के लिए लाए गए तीनों काले कानून पर सरकार से 1२ बार चर्चा हो चुकी है। उक्त कानून को रद्द किए जाने के बाद ही यह आंदोलन समाप्त होगा।
केन्द्र सरकार से वार्ता करने वाली किसानों की कमेटी ने तीनों काले कानून के संबंध में बिंदुवार चर्चा किया है। इसमें एक-एक गड़बडिय़ों को बताया है, लेकिन अब तक बात नहीं बनी है। इसको लेकर सरकार का रूख अडिय़ल है। कहा कि जिस तरह जानवर के मर जाने पर उसके ऊपर गिद्ध मंडराने लगते हैं। उसी प्रकार किसानों से लाभ कमाने के लिए अडानी, अंबानी जैसे लोग चक्कर लगा रहे हैं। कहा कि नया कानून किसानों के मौत का फरमान है। तीन प्रतिशत सरकारी कर्मचारियों के हड़ताल करते ही उनकी बात सुनने वाली सरकार किसानों के आंदोलन की अनदेखी कर रही है।
राहुल राज ने कहा कि किसान की कोई जाति नहीं होती है। सरकार धर्म और जाति में बांटकर राजनीति कर रही हैं। काला कानून की अच्छाइयां बताने वालों को खुले मंच पर बुलाइए और उससे सवाल करिए। इसको लेकर अलग-थलग रहने की जरुरत नहीं है। सभी लोग एकजुट रहे। वर्तमान में शासन व प्रशासन नंबर देखकर काम कर रही हैं। अंतर्राष्ट्रीय शूटर पूनम पंडित, प्रतिभा सिंद्धे, रवि दत्त ने भी किसान महापंचायत को संबोधित किया। महिलाओं के बीच धूप में करीब तीन घंटे तक शूटर पूनम पंडित बैठी रही। महिलाएं उनके अपने बीच पाकर काफी प्रसन्न नजर आई।

चार थानों की पुलिस रही तैनात
किसान महापंचायत को लेकर जिले के डूंडासिवनी, लखनवाड़ा, कुरई व बंडोल थाने की पुलिस तैनात रही। मुख्य गेट से लेकर सभा स्थल और बाहर यातायात व्यवस्था को व्यस्थित करते पुलिस नजर आई।
16 लाख करोड़ के कृषि व्यापार पर है अडानी और अंबानी की नजर
सरकार के तीनों काला कानून व्यापारियों के पक्ष में, पीएम को लिखा पत्र आज तक नहीं आया जवाब
सिवनी. दुनिया का सबसे बड़ा कारोबार भारत के १६ लाख करोड़ रुपए के कृषि व्यापार पर अडानी और अंबानी की नजर है। इसकी शुरुआत २३ फरवरी २०१५ को प्रधानमंत्री ने डब्लयूटीओ के किसानों से उनकी उपज समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं किए जाने की बात को समर्थन देने के साथ धीरे-धीरे बंद किए जाने के संबंध में हस्ताक्षर कर दी गई सहमति के साथ किया। लेकिन हमलोग इसे उस समय नहीं समझ पाए। यह बात संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वावधान में दिल्ली सहित देशभर में चल रहे किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाली सात सदस्यीय कमेटी के सदस्य शिवकुमार उर्फ कक्का जी ने कही। वे बुधवार को लुघरवाड़ा स्थित एक लॉन में आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि काला कानून किसानों के खिलाफ और व्यापारियों के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा कि काला कानून लाए जाने के बाद गहनता से अध्ययन किया गया। इसके बाद प्रधानमंत्री को पत्र लिखा गया, लेकिन अब तक वहां से कोई जवाब नहीं आया। इसके पूर्व उनको जब भी पत्र लिखा, वहां से जवाब आता रहा है। कहा कि केन्द्र सरकार ने इस कानून को अडानी और अंबानी के हिसाब से बनाया है। देश में प्रायवेट मंडी होनी चाहिए। व्यापारी लायसेंस नहीं लेगा। प्रायवेट मंडी के लिए सरकार जमीन देगी। व्यापारी टैक्स नहीं देगा। व्यापारी जितना चाहे उपज भण्डारण कर सकेगा। व्यापारी यदि किसान को पैसा दिए बिना भाग गया तो किसान जिला न्यायालय में नहीं जाएगा। वह इसकी शिकायत पहले एसडीएम और इसके बाद कलेक्टर से करेगा। भूमि की सुरक्षा की गारंटी नहीं रहेगी। इस कानून को लेकर सरकार वार्ता के दौरान संशोधन की बात करती है, लेकिन यह कानून संशोधन के लायक नहीं रद्द करने लायक है। इसके अलावा एमएसपी पर गारंटी कानून बनाया जाना भी आवश्यक है। कहा कि हर वार्ता में मैंने इसे प्रमुखता से उठाया है।

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