सिवनी. जिले की बेटी ने हिन्दी दिवस के अवसर पर चीनी जनवादी गणराज्य के सबसे बड़े नगर में संघाई में हिन्दी में भाषण दिया। हिन्दी की महात्वता के साथ ही उन्होंने 'भारत-चीन मित्रता का भविष्यÓ पर अपना भाषण हिन्दी में दिया।
नगर के अशोक नगर कॉलोनी बारापत्थर निवासी प्रज्ञा सोनी पिता हर्षलाल सोनी ने 14 सितम्बर हिन्दी दिवस के मौके पर संघाई में आयोजित एक कार्यक्रम में हिन्दी विषय और भारत-चीन मैत्री पर अपनी बात रखी। इस मौके पर चीन के नागरिक समेत वहां रह रहे अप्रवासीय भारतीय भी मौजूद थे।
एमबीए कर रही प्रज्ञा ने अपने उद्बोधन की शुरूआत में कहा कि आज के कार्यक्रम में उपस्थित सभी भारतीय भाई-बहन आप सभी को हृदय से प्रणाम। जिस पर सभी ने तालियों से स्वागत किया। इसके बाद उन्होंने आगे हिन्दी भाषा का इतिहास के विषय में बताया।
भारत-चीन मित्रता का भविष्य विषय पर हिन्दी में ही भाषण देते हुए कहा कि प्राचीन समय से भारत और चीन के बीच व्यापारिक एवं सांस्कृतिक संबंध बहुत गहरे रहे हैं। हजारों वर्ष पूर्व एशिया महाद्वीप का प्राय: आधा भाग बौद्ध धर्म के झंड़े के नीचे फला-फूला है। भौगोलिक तथा सामाजिक स्थिति भारत और चीन की एक जैसी रही है। उस समय में चीनी यात्री हन्वेसांग भारत के विश्वविद्यालय तक्षशिला में जाकर अध्ययन करने का उल्लेख मिलता है। भारत और चीन के बीच आवागमन के लिए तीसरी सदी से ही मार्ग का विकास किए जाने का उल्लेख मिलता है। उसी प्रकार ईसा की प्रथम सदी से ही समुद्री जलमार्ग का लेख सम्राट अशोक के शिलालेखों से प्राप्त हुए हैं। यह सिलसिला सन् 1945 तक राजनीतिक परिवर्तनों के कारण धीरे-धीरे कम होने लगी थी।
महाशक्ति बन सकते हैं दोनों देश
आज के परिपेक्ष्य में अगर देखे तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे दो सहोदर भाई अलग-अलग हो गए हो। अब आवश्यकता है कि भारत की 65 प्रतिशत युवा आबादी और चीन की टेक्नालॉजी दोनों साथ-साथ मिल जाए तो एशिया आर्थिक, व्यापारिक, सामाजिक तथा राजनैतिक शक्ति के रूप में महाशक्ति बन सकता है।
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