
छपारा. एशिया का सबसे बड़ा मिट्टी का बांध संजय सरोवर जिम्मेदारों की लापरवाही का शिकार हो गया है। बांध की सुरक्षा में लापरवाही बरती जा रही है। पहुंच मार्ग बदहाल हो चुका है। वहीं बांध के वॉल में छेद हो रहे हैं। मवेशी यहां घास चरने पहुंच रहे हैं। कोई भी बिना रोकटोक के आ जा रहा है। जबकि बांध के हर तरफ प्रबंधन ने साफ-साफ लिखा है कि बांध हमारा राष्ट्रीय धरोहर है। बता दें कि सिवनी जिले की जीवनदायनी वैनगंगा नदी में स्थित भीमगढ़ संजय सरोवर बांध का निर्माण कार्य 1972 में शुरू किया गया था। लगभग 17 साल बाद 1987-88 में बांध बनकर तैयार हुआ। बांध की 40 साल से अधिक की उम्र हो चुकी है। इसके बावजूद भी न ही इसके मेंटनेंस पर और न ही सुरक्षा पर ध्यान दिया जा रहा है। खापा गांव से लेकर बांध तक मार्ग बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है। इतना ही नहीं बांध का जो वॉल है उस पर भी गड्ढ़े हो गए हैं। यह स्थिति पिछले एक वर्ष से बनी हुई है, लेकिन जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं।
मवेशियों का आना है वर्जित
जल संसाधन विभाग द्वारा बांध के सुरक्षा नियमों को लेकर उदासिनता दिखाई जा रही है। बांध के वॉल में मवेशियों का पहुंचना वर्जित है, लेकिन मवेशियों के लिए यह चारागाह बन गया है। जल संसाधन विभाग के तकनीकी अधिकारियों की मानें तो मवेशियों के पैरों के खुर और गोबर बांध के लिए अत्यंत खतरनाक हैं। बड़ी बात यह है कि बांध की मिट्टी में जहां मवेशी पैर रखते हैं वहां गड्ढ़े हो जा रहे हैं। जिससे पानी धीरे-धीरे बांध के वॉल से अंदर पहुंच रहा है। ऐसे में अगर जल्द ध्यान नहीं दिया गया तो पानी का रिसाव बाहर तक होगा। यह स्थिति बांध की सुरक्षा की दृष्टि से बड़ी लापरवाही है।
हर दृष्टि से महत्वपूर्ण है बांध
भीमगढ़ संजय सरोवर बांध न केवल पर्यटक की दृष्टि से जिले के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि जिले की कई पेयजल प्रदाय योजना यहां से संचालित होती है। इसके साथ ही हजारों एकड़ भूमि इस बांध से सिंचित होती है। बांध के बनने के बाद जिले में किसान उन्नत खेती कर रहे हैं। इतना ही नहीं बांध से बालाघाट को भी पानी दिया जाता है।
नहीं तैनात रहे अधिकारी
संजय सरोवर बांध में जिम्मेदार अधिकारी हमेशा पदस्थ नहीं रहते। बताया जाता है कि जब गेट खोलना होता है तब अधिकारी पहुंचते हैं।
इनका कहना है…
संजय सरोवर भीमगढ़ बांध हमारा राष्ट्रीय धरोहर है। अगर सुरक्षा में लापरवाही हो रही है तो मैं दिखवाता हूं। मवेशियों के चरने की मनाही है। खराब रास्त को जल्द ठीक कराया जाएगा।
अशोक डेहरिया, सीई, जल संसाधन विभाग
Published on:
20 Sept 2025 02:10 pm
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